New Delhi : सीआरपीएफ महिला बाइकर्स की टीम को स्मृति ईरानी ने हरी झंडी दिखा कर गुजरात किया रवाना

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नई दिल्ली : केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सीआरपीएफ महिला बाइकर्स की टीम को हरी झंडी दिखा कर गुजरात रवाना किया। बाइकर्स की दो टीमों ने श्रीनगर और शिलांग से तीन अक्टूबर को अपनी यात्रा शुरू की थी। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के राष्ट्रीय आह्वान को अपना समर्थन देने और लोगों को जागरूक करने के मकसद से शुरू की गई यह यात्रा नई दिल्ली पहुंची थी, जिसे शनिवार को गुजरात के लिए रवाना किया गया। यह अभियान 31 अक्टूबर को गुजरात में समाप्त होगा। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित रहेंगे।

इस मौके पर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इन साहसी सीआरपीएफ महिलाओं को महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बताते हुए उनकी सराहना की। पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर उन्होंने उन बहादुरों को याद किया, जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया और एक सुरक्षित राष्ट्र में योगदान देने के लिए उनके परिवारों के प्रति आभार व्यक्त किया।

सीआरपीएफ के महानिदेशक डॉ. थाओसेन ने बताया कि ये दोनों टीमें क्रमशः 1027 और 2284 किलोमीटर की यात्रा कर चुकी हैं और उनकी यात्रा एकता नगर, गुजरात में समाप्त होगी। उन्होंने उल्लेख किया कि सीआरपीएफ की महिला कर्मियों की लड़ाई की भावना और प्रतिबद्धता ने उन्हें वीरता के लिए अशोक चक्र और पुलिस पदक सहित कई सम्मान दिलाए हैं। उन्होंने बताया कि दोनों टीमें 19 अक्टूबर को गुरुग्राम पहुंची थीं और अब अपने अंतिम गंतव्य, एकता नगर (केवड़िया) गुजरात की ओर जा रही हैं, जहां वे टीम 3 में शामिल होंगी, जो त्रिवेणी, कन्याकुमारी से शुरू हुई थी।

उल्लेखनीय है कि सीआरपीएफ की तीन यशस्विनी टीमों में से प्रत्येक में 50 निडर सीआरपीएफ महिलाएं शामिल हैं, जो एकता और समावेशिता को बढ़ावा देने के मिशन के साथ भारत के 15 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से 10,000 किलोमीटर की यात्रा पर 25 रॉयल एनफील्ड 350 सीसी मोटरसाइकिलों की सवारी कर रही हैं। अपनी यात्रा के दौरान ये महिलाएं छात्रों, एनसीसी कैडेटों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्वयं सहायता समूहों के साथ जुड़कर “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का महत्वपूर्ण संदेश दे रही हैं। इनमें से कई महिला बाइकर्स के पास मोटरसाइकिल का कोई पूर्व अनुभव नहीं था और वे पुंछ, राजौरी, त्रिपुरा और पश्चिमी घाट जैसे विभिन्न क्षेत्रों से आती हैं। दिल्ली में उनके एक महीने के गहन प्रशिक्षण के साथ-साथ दृढ़ संकल्प ने उन्हें अपनी असली ताकत और क्षमता का एहसास कराने में मदद की है।