नई दिल्ली : (New Delhi) दिल्ली के साकेत सेशंस कोर्ट (Delhi’s Saket Sessions Court) ने दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को राहत दी है। एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह (Additional Sessions Judge Vishal Singh) ने मेधा पाटकर को एक साल के लिए परिवीक्षा पर रहने का आदेश दिया। इसका मतलब है कि मेधा पाटकर को मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मिली तीन महीने की जेल की सजा की जगह एक साल के लिए परिवीक्षा के तहत रहना होगा। कोर्ट ने मेधा पाटकर को अपने अच्छे आचरण की अंडरटेकिंग की शर्त पर परिवीक्षा के रहने की अनुमति दी है।
इसी के साथ कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मेधा पाटकर (Medha Patkar) पर लगाए गए दस लाख रुपये के जुर्माने को कम करते हुए एक लाख रुपये कर दिया है। सेशंस कोर्ट ने कहा कि मेधा पाटकर की उम्र 70 वर्ष हो चुकी है और उन्हें पहले कभी किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है। ऐसे में वे सजा और जुर्माना कम करने की पात्र हैं। सेशंस कोर्ट ने 2 अप्रैल को मेधा पाटकर को मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मिली सजा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी।
इससे पहले 27 जुलाई, 2024 को सेशंस कोर्ट ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के फैसले पर रोक लगाते हुए वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया था। मेधा पाटकर ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की ओर से दी गई पांच महीने की कैद और दस लाख रुपये के जुर्माने की सजा को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने एक जुलाई, 2024 को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है, लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया है कि मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए।