नई दिल्ली : (New Delhi) देश के राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर जल्द ही दर अनुबंध और वैश्विक निविदा कार्यक्षमताओं को भी शामिल किया जायेगा, ताकि इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया जा सके। फिलहाल, ये सुविधाएं जीईएम पोर्टल पर नहीं हैं।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मिहिर कुमार ने जीईएम के 8वें निगमन दिवस पर कहा कि जीईएम में हम सरलीकरण और परिवर्तन को सशक्त बनाने के लिए नवाचार कर रहे हैं। वैश्विक निविदा कार्यक्षमता से अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं या विदेशी विक्रेताओं से लेनदेन संभव हो सकेगा। यह प्लेटफॉर्म 2025-26 में 7 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन की सुविधा प्रदान करने पर विचार कर रहा है, जबकि 2024-25 में यह 5.42 लाख करोड़ रुपये था। वर्तमान में वार्षिक खरीद का 40-50 फीसदी हिस्सा इस पोर्टल के माध्यम से हो रहा है।
मिहिर कुमार ने कहा कि हम इन सुविधाओं को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। इसी तरह दर अनुबंध के तहत सरकारी खरीदार एक तय अवधि में पूर्व निश्चित कीमतों पर सामान और सेवाएं खरीद सकेंगे। ऐसे में बार-बार बोली लगाने की जरूरत कम हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जीईएम के दायरे को और व्यापक बनाने के तरीकों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जीईएम ने सार्वजनिक क्षेत्र में भारत का पहला जीईएनएआई चैटबॉट लॉन्च किया है। कुमार ने बताया कि 10 लाख से अधिक सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई), 1.3 लाख कारीगर और बुनकर, 1.84 लाख महिला उद्यमी और 31,000 स्टार्टअप अब जीईएम इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक हाल के वर्षों में जीईएम के उपयोगकर्ता आधार में तीन गुना वृद्धि देखी गई है, जिसमें 1.64 लाख से अधिक प्राथमिक खरीदार और 4.2 लाख सक्रिय विक्रेता शामिल हैं। यह प्लेटफ़ोर्म 10,000 से अधिक उत्पाद श्रेणियां और 330 से अधिक सेवाएं प्रदान करता है। विश्व बैंक और आर्थिक सर्वेक्षण सहित स्वतंत्र मूल्यांकन, जीईएम के प्रभाव को मान्य करते हैं, जिसमें सरकारी खरीद में लगभग 10 फीसदी की औसत लागत बचत का उल्लेख किया गया है।
जीईएम पर लगभग 97 फीसदी लेन-देन अब लेनदेन शुल्क से मुक्त हैं। इसके अतिरिक्त, शुल्क को 33 फीसदी से 96 फीसदी तक घटा दिया गया है। वहीं, 10 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर के लिए 3 लाख रुपये की सीमा तय की गई है, जो पहले के 72.5 लाख रुपये से काफी कम है। 1 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाले विक्रेताओं के लिए, सावधानी राशि जमा करने में 60 प्रतिशत की कटौती की गई है, साथ ही चुनिंदा समूहों को पूरी छूट दी गई है।
यह प्लेटफ़ॉर्म एम्स के लिए ड्रोन-एज-ए-सर्विस, 1.3 करोड़ से अधिक लोगों के लिए जीआईएस और बीमा और चार्टर्ड उड़ानों और सीटी स्कैनर की वेट लीजिंग जैसी जटिल सेवाओं को भी सक्षम कर रहा है। जीईएम को अब सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपनाया जा चुका है, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। महाराष्ट्र, मणिपुर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, असम, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ सहित आठ राज्यों ने जीईएम के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है। असम, केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में सफल आईएफएमएस एकीकरण ने गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में आगामी रोलआउट का मार्ग प्रशस्त किया है।