New Delhi : राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल

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नई दिल्ली : (New Delhi) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल (Former Congress President and Leader of Opposition in Lok Sabha Rahul Gandhi) गांधी ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) (SIR) को लेकर लगातार दूसरे दिन शनिवार को चुनाव आयोग पर हमला बोला। उन्होंने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें 2014 से ही भारत की चुनाव प्रणाली पर संदेह रहा है और हाल के वर्षों में हुए कुछ चुनाव परिणामों ने इस शक को और गहरा किया है।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने यहां के विज्ञान भवन में आयोजित कांग्रेस के ‘राष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन’ में कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के चुनावों (Gujarat Assembly elections, Maharashtra and Madhya Pradesh elections) में जो नतीजे आए, वे स्वाभाविक नहीं थे। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में जीत के बाद केवल चार महीने में विधानसभा में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल बुरी तरह हार गए, जो सामान्य नहीं था। इस मामले में कांग्रेस ने गहराई से पड़ताल की और महाराष्ट्र में उन्हें कुछ ऐसे प्रमाण मिले जिनसे संकेत मिलता है कि वोटर लिस्ट में भारी हेरफेर हुई थी।

इस सम्मेलन का आयोजन कांग्रेस के कानून, मानवाधिकार और आरटीआई विभाग (Human Rights and RTI Department) ने किया है। सम्मेलन में राहुल के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस के कानून, मानवाधिकार और आरटीआई विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वरिष्ठ नेता और देशभर के वकील शामिल हुए।

राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों (Lok Sabha and Assembly elections) के बीच एक करोड़ नए वोटर सूची में जोड़े गए और उनमें से अधिकांश वोट भाजपा को मिले। उन्होंने कहा कि इस विषय पर कांग्रेस ने छह महीने तक शोध किया लेकिन चुनाव आयोग ने सहयोग नहीं किया। आयोग ने उन्हें कागजी मतदाता सूची दी, जिसे स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता था। जब इन सूचियों की गहन जांच की गई तो पाया गया कि साढ़े छह लाख वोटरों में से लगभग डेढ़ लाख फर्जी थे। राहुल ने कहा कि अब उनके पास 100 प्रतिशत प्रमाण हैं और जल्द ही वे इसे सार्वजनिक करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत की चुनाव प्रणाली अब निष्पक्ष नहीं रही और चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को ‘नष्ट’ कर दिया गया है। इस देश में जो भी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस समय दर्जनों मुकदमों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने पर उन्हें धमकी दी गई थी लेकिन उन्होंने झुकने से इनकार किया क्योंकि कांग्रेस का डीएनए संघर्ष का है।

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों की भूमिका का जिक्र कर कहा कि गांधी, नेहरू, पटेल और अंबेडकर के नेतृत्व में हजारों वकीलों ने देश को आजादी दिलाने में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि आज जब संवैधानिक संस्थाओं को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया जा रहा है, तब देश के वकीलों की जिम्मेदारी है कि वे अदालतों में संविधान की रक्षा करें। कांग्रेस इस लड़ाई को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर लड़ रही है, लेकिन संवैधानिक और कानूनी लड़ाई वकीलों को लड़नी होगी। उन्होंने अंत में यह विश्वास जताया कि जब वे अपने पास मौजूद प्रमाण देश के सामने रखेंगे, तो चुनाव प्रणाली को लेकर जनता की आंखें खुल जाएंगी।