New Delhi : नाबार्ड के सर्वे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे में उल्लेखनीय सुधार का दावा

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नई दिल्‍ली : (New Delhi) राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) (NABARD) के दो महीनों के सर्वे से पता चला है कि ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से लोगों में जबरदस्त उम्मीद जगी है। सर्वे में 80 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने एक साल में लगातार ज्‍यादा खपत होने की बात कही है।

नाबार्ड के 8वें ग्रामीण आर्थिक स्थिति एवं मत सर्वेक्षण (Rural Economic Situation and Opinion Survey) (RECESS) के मुताबिक पिछले एक वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में उल्लेखनीय सुधार, आय में बढ़ोतरी और जीवन स्तर में बेहतर बदलाव के स्पष्ट संकेत मिले हैं। एक वर्ष के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। उपभोग में वृद्धि, आय में बढ़ोतरी, घटती महंगाई और वित्तीय सतर्कता के बेहतर मानकों के साथ ग्रामीण भारत विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। निरंतर कल्याणकारी सहायता और मजबूत सार्वजनिक निवेश इस गति को और बल दे रहे हैं। सितंबर, 2024 से नवंबर 2025 के बीच ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय मजबूती दर्ज की गई।

सर्वे के मुताबिक ग्रामीण परिवारों में मासिक आय का 67.3 फीसदी हिस्सा अब उपभोग पर खर्च किया जाता है। यह सर्वेक्षण शुरू होने के बाद का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है और इसमें जीएसटी दरों में सुधार का भी महत्वूपर्ण योगदान है। ग्रामीण परिवारों में से 42.2 फीसदी ने अपनी आय में वृद्धि दर्ज की है, जो अब तक के सभी सर्वेक्षणों में सबसे बेहतर प्रदर्शन है। केवल 15.7 फीसदी लोगों ने किसी भी प्रकार की आय में कमी का उल्लेख किया है, जो अब तक का सबसे न्यूनतम स्तर है। भविष्य की संभावनाएं काफी मजबूत नजर आ रही हैं, जिसमें 75.9 फीसदी लोगों को उम्मीद है कि उनकी आय अगले वर्ष बढ़ेगी जो सितंबर 2024 के बाद से सबसे ऊंचे स्तर का आशावाद है।

पिछले वर्ष की तुलना में 29.3 फीसदी परिवारों में पूंजी निवेश में वृद्धि देखी गई है, जो पिछले किसी भी चरण में अधिक है जो कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में संपत्ति सृजन में नई तेजी को दर्शाता है। निवेश में यह तेजी मजबूत उपभोग और आय में वृद्धि के कारण है, न कि ऋण संकट के कारण।

58.3 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने केवल औपचारिक ऋण स्रोतों का ही उपयोग किया है जो अब तक के सभी सर्वेक्षणों में अब तक का सबसे उच्च स्तर है। सितंबर 2024 में यह 48.7 फीसदी था। हालांकि, अनौपचारिक ऋण का हिस्सा लगभग 20 फीसदी है, जो यह दर्शाता है कि औपचारिक ऋण की पहुंच को और व्यापक बनाने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।

औसत मासिक आय का 10 फीसदी हिस्सा सब्सिडी वाले भोजन, बिजली, पानी, खाना पकाने की गैस, उर्वरक, स्कूल सहायता, पेंशन, परिवहन लाभ और अन्य कल्याणकारी हस्तांतरणों के माध्यम से प्रभावी रूप से पूरा हो रहा है। कुछ परिवारों के लिए, अंतरित धनराशि कुल आय के 20 फीसदी से अधिक तक होती है, जो आवश्यक उपभोग सहायता प्रदान करती है और ग्रामीण मांग को स्थिर करने में मदद करती है। महंगाई के बारे में औसत धारणा घटकर 3.77 फीसदी हो गई। सर्वेक्षण शुरू होने के बाद यह पहली बार 4 फीसदी से नीचे आई है। 84.2 फीसदी लोगों का मानना है कि महंगाई 5 फीसदी या उससे कम रहेगी और लगभग 90 फीसदी लोगों को उम्मीद है कि निकट भविष्य में महंगाई 5 फीसदी से नीचे ही रहेगी। महंगाई में कमी से वास्तविक आय में वृद्धि हुई है, क्रय शक्ति में सुधार हुआ है और समग्र कल्याण को बढ़ावा मिला है।

कम महंगाई और ब्याज दरों में नरमी के साथ, ऋण चुकाने के लिए आवंटित आय का हिस्सा पहले के दौर की तुलना में कम हो गया है। 29.3 फीसदी ग्रामीण परिवारों में पिछले वर्ष के दौरान पूंजी निवेश में वृद्धि हुई है जो सभी सर्वेक्षणों में उच्चतम है। ग्रामीण परिवारों ने निम्नलिखित क्षेत्रों में हुए सुधारों को लेकर उच्च स्तर की संतुष्टि व्यक्त की है:-सड़कें, शिक्षा, बिजली, पेयजल और स्वास्थ्य सेवाएं। इन सुधारों से लोगों की आय बढ़ी है और इससे दीर्घकालिक समृद्धि को आधार मिला है।

नाबार्ड का ग्रामीण आर्थिक स्थिति एवं मत सर्वेक्षण देशभर में हर दो महीने में किया जाता है। इसमें आय, उपभोग, मुद्रास्फीति, ऋण, निवेश और अपेक्षाओं से संबंधित मात्रात्मक संकेतकों और परिवारों के विचारों को शामिल किया जाता है। यह सर्वेक्षण अब एक समृद्ध, वर्षभर का डेटासेट प्रदान करता है जो अतीत की स्थितियों और भविष्य की घरेलू भावनाओं दोनों के आधार पर ग्रामीण आर्थिक परिवर्तनों का यथार्थवादी आकलन करने में सक्षम बनाता है।