नई दिल्ली : (New Delhi) दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने टेरर फंडिंग मामले के आरोपित एवं सांसद इंजीनियर रशीद (terror funding case accused and MP Engineer Rashid) की संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए दायर अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है। मंगलवार काे जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने दोनों पक्षों के आग्रह पर अगली सुनवाई 25 मार्च को करने का आदेश दिया।
इस मामले में एनआईए ने इंजीनियर रशीद की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि सांसद होने की वजह से उन्हें जेल से बाहर आने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने 12 मार्च को इंजीनियर रशीद (Engineer Rashid) की याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया था। इंजीनियर रशीद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा था कि इंजीनियर रशीद ने इसके पहले भी संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी थी लेकिन कोर्ट ने केवल दो दिन संसद के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी। हरिहरन ने कहा था कि संसद का सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा। उन्होंने कहा कि इंजीनियर रशीद बारामूला से सांसद हैं और बारामूला की आबादी जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी का 45 फीसदी है। इतनी बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व खाली नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने मांग की थी कि इंजीनियर रशीद को कस्टडी पेरोल पर रिहा किया जाए।
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश वकील अक्षय मलिक ने कहा था कि इसके पहले हाई कोर्ट ने जो कस्टडी पेरोल दी थी उस समय इस मामले की सुनवाई के लिए कोई कोर्ट नियत नहीं थी। अब इस मामले में स्पेशल कोर्ट नियत कर दी गई है। ट्रायल कोर्ट ने इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा हुआ है और 19 मार्च को फैसला सुनाया जाना है।
इंजीनियर रशीद ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 10 मार्च को इंजीनियर रशीद की संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग खारिज कर दी थी। याचिका में कहा गया है कि इंजीनियर रशीद एक सांसद हैं और उन्हें जिन लोगों ने चुना है उनके प्रति जिम्मेदारी निभाने के लिए संसद की सत्र में हिस्सा लेने की जरूरत है। याचिका में कहा गया है कि संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 10 मार्च से शुरू हो रहा है जो 4 अप्रैल को खत्म होगा। रशीद ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की थी। रशीद को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था।
दरअसल, 16 मार्च 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, इंजीनियर रशीद, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपिताें के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने , सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने केस दर्ज किया था।