नई दिल्ली: (New Delhi) चेक गणराज्य के मार्टिन कोनेक्नी ने जापान के एशियन गेम्स (Asian Games) कांस्य पदक विजेता गेन्की डीन की जगह ली है, आयोजकों ने शुक्रवार को नीरज चोपड़ा क्लासिक अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक प्रतियोगिता के लिए 12 खिलाड़ियों की अंतिम एंट्री लिस्ट की पुष्टि कर दी है। यह भारत में पहली बार आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक प्रतियोगिता है, जिसे मूल रूप से 24 मई को पंचकूला में होना था, लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था।
ओलंपिक मेडलिस्ट चोपड़ा की खास पहल
इस प्रतिष्ठित आयोजन को दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा (Olympic medallist Neeraj Chopra) और JSW स्पोर्ट्स द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसे एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की मान्यता प्राप्त है। चोपड़ा की यह ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जा रही प्रतियोगिता विश्व एथलेटिक्स द्वारा कैटेगरी-ए का दर्जा प्राप्त कर चुकी है।
दिग्गज अंतरराष्ट्रीय नाम होंगे शामिल
मार्टिन कोनेक्नी (Martin Konecny) के अलावा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों में ग्रेनेडा के दो बार के वर्ल्ड चैंपियन एंडरसन पीटर्स, 2016 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता थॉमस रोहलर (जर्मनी), 2015 विश्व विजेता जूलियस येगो (केन्या), कर्टिस थॉम्पसन (अमेरिका), लुइज मौरिसियो दा सिल्वा (ब्राज़ील) और श्रीलंका के रुमेश पथिरागे जैसे दिग्गज शामिल होंगे।
भारतीय दल में होंगे 5 स्टार एथलीट्स
नीरज चोपड़ा के साथ भारतीय दल में एशियाई चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता सचिन यादव, किशोर जेना, रोहित यादव और साहिल सिलवाल भी अपनी चुनौती पेश करेंगे।
बदला वेन्यू, अब बेंगलुरु में होगा आयोजन
पहले यह प्रतियोगिता पंचकूला में होनी थी, लेकिन लाइव टेलीकास्ट में रौशनी की समस्या के चलते अब इसे बेंगलुरु के श्री कांतीरवा स्टेडियम में 5 जुलाई को आयोजित किया जाएगा।
टिकट की कीमत और प्रीमियम अनुभव
आयोजकों के मुताबिक, टिकट की कीमतें ₹199 से ₹9,999 तक होंगी। 15 लोगों की क्षमता वाले कॉरपोरेट बॉक्स की कीमत ₹44,999 रखी गई है। थ्रोअर्स रनवे के पास विशेष स्टैंड ₹9,999 में और नॉर्थ अपर स्टैंड में रनवे के ठीक पीछे स्थित प्रीमियम सेक्शन ₹2,999 में उपलब्ध होगा।
चोपड़ा का लक्ष्य – भारत को बनाना है एथलेटिक्स का मेजबान हब
नीरज चोपड़ा का उद्देश्य इस आयोजन के माध्यम से भारत को विश्व स्तरीय एथलेटिक्स आयोजनों का भरोसेमंद मेजबान बनाना है। यह प्रतियोगिता इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।