नई दिल्ली : (New Delhi) नेशनल हेराल्ड (National Herald) से जुड़े मामले में ईडी की ओर से राऊज एवेन्यू कोर्ट(Rouse Avenue Court) में आंशिक रुप से जवाबी दलीलें रखी गयीं। स्पेशल जज विशाल गोगने (Special Judge Vishal Gogane) ने ईडी की आगे की जवाबी दलीलें 12 जुलाई को सुनने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू (ASG SV Raju) ने गांधी परिवार की उस दलील का विरोध किया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था। एजेएल ही मूल रुप से नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक थी। इस मामले में 5 जुलाई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने कहा था कि कांग्रेस ने एजेएल को बेचने की कोशिश नहीं की थी, बल्कि वो इस संस्था को बचाना चाहती थी क्योंकि वो स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थी।
चीमा ने कहा था कि ईडी एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन क्यों नहीं दिखा रही है। साल 1937 में एजेएल की स्थापना जवाहर लाल नेहरु, जेबी कृपलानी, रफी अहमद किदवई और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने की थी। चीमा ने कहा था कि एजेएल के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएएशन में कहा गया है कि उसकी सभी नीतियां कांग्रेस की होंगी। 3 जुलाई को ईडी की ओर से दलीलें पूरी कर ली गयी थीं। कोर्ट ने 2 मई को इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत सात आरोपितों को नोटिस जारी किया था। ईडी ने 15 अप्रैल को कोर्ट में मनी लांड्रिंग कानून (Money Laundering Act) की धारा 44 और 45 के तहत अभियोजन शिकायत दाखिल की थी। ईडी ने इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा को आरोपित बनाया है।
इस मामले में शिकायतकर्ता सुब्रह्ण्यम स्वामी (complainant Subramanian Swamy) का आरोप है कि दिल्ली में बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।