नई दिल्ली : (New Delhi) उच्चतम न्यायालय (The Supreme Court) ने बाबरी मस्जिद को फिर से बनाने के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता (A bench headed by Justice Surya Kant) वाली पीठ ने कहा कि उन्होंने पोस्ट देखी है और वे इस मामले में दखल नहीं देना चाहते हैं।
यह याचिका कानून के छात्र मोहम्मद फैयाज मंसूरी ने दायर (law student Mohammad Fayaz Mansoor) की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अब्दुल रहमान ने कहा कि पोस्ट में कोई अश्लीलता या भड़काऊ भाषा नहीं थी। उन्होंने कहा कि मंसूरी ने सिर्फ इतना कहा था कि बाबरी मस्जिद उसी तरह बनेगी जैसे तुर्की में एक मस्जिद को फिर से बनाया गया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि भड़काऊ टिप्पणी किसी दूसरे व्यक्ति ने की थी, जिसकी जांच नहीं की गई। तब कोर्ट ने कहा कि हमसे कोई कठोर टिप्पणी न कराएं। कोर्ट के रुख को देखते हुए वकील अब्दुल रहमान (lawyer Abdul Rahman) ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।



