
नयी दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस होने के एक दिन बाद बुधवार को अधिकारियों ने कहा कि भूकंप आने की स्थिति में नुकसान को कम करने के लक्ष्य से सरकार जागरूकता अभियान और ‘‘मॉक ड्रिल’’ आदि कर रही है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (एनसीएस) के निदेशक ओ. पी. मिश्रा ने कहा कि भूकंप से होने वाले खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं और ‘‘मॉक ड्रिल’’ किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को भूकंप के दौरान ‘‘क्या करें और क्या ना करें’’ की जानकारी दी जा रही है।
मिश्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘भूकंप को रोका नहीं जा सकता है लेकिन विभिन्न कदमों की मदद से उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) अन्य संस्थानों के साथ मिलकर मॉक ड्रिल कराने वाली नोडल एजेंसी है और ऐसे अभियान समय-समय पर चलाए जाते हैं।’’
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में 6.6 तीव्रता का भूकंप आने के बाद दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस हुए। दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को भी शाम करीब चार बजकर 42 मिनट पर 2.7 तीव्रता का भूकंप महसूस हुआ।
मिश्रा ने कहा कि केन्द्र ने भूकंपरोधी भवनों के लिए नयी डिजाइन का उपयोग करने का प्रयास किया है और भूकंप क्षेत्रों को कई जोन में बांटा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम भूकंपीय खतरे के आधार पर देश के जोन को देखें, खास तौर से जोन दो से पांच तक, भारत सरकार ने भूकंप रोधी प्रभाव के लिए नये भवन डिजाइन कोड का उपयोग करने का प्रयास किया है। भूकंप के खतरे के आधार पर शहरों को बेहद छोटे-छोटे जोन में बांटने का काम पूरा हो चुका है, लेकिन जिन शहरों की आबादी पांच लाख या उससे ज्यादा है, उनको विस्तृत तरीके से जोन में बांटा जाएगा।’’
उन्होंने आगे कहा कि एनसीएस चौबीसों घंटे भूकंप और भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘अत्याधुनिक उपकरण हमें सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी आने वाले भूकंपों पर नजर रखने में मदद करते हैं।’’