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Nainital : हाई कोर्ट ने कहा-केंद्र और राज्य सरकार नशामुक्ति केंद्रों के मामले में दो सप्ताह में पेश करें अपना जवाब

नैनीताल : (Nainital) उत्तराखण्ड हाई कोर्ट (Uttarakhand High Court) ने देहरादून जिले में संचालित पन्द्रह नशामुक्ति केंद्रों के मामले पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने याचिकाओं का क्षेत्र बढ़ाते हुए केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में जितने भी सुसाइड के केस आ रहे हैं। वे कार्यस्थल पर कार्य की अधिकता व मेंटल हेल्थ की वजह से आ रहे है क्या एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान है, जिससे कि इस समस्या का समाधान हो सके। दो सप्ताह में केंद्र व राज्य सरकार इस पर जवाब पेश कर न्यायलय को अवगत कराएं।

मामले के अनुसार जाग्रती फाउंडेशन, संकल्प नशामुक्ति,मैजिक नर्फ, इनलाइटमेन्ट फेलोशिप, जीवन संकल्प सेवा समिति, नवीन किरण, इवॉल्व लीव्स,जन सेवा समिति, ज्योति जन कल्याण सेवा, आपका आश्रम, सेंट लुइस रेहाब सोसायटी, एसजी फाउंडेशन, दून सोबर लिविंग सोयायटी रथ टू सेरिनिटी और डॉक्टर दौलत फाउंडेशन ने विभिन्न याचिकाएँ दायर कर जिला अधिकारी देहरादून द्वारा 13 नवम्बर 2021 को नशामुक्ति केंद्रों संचालन हेतु जारी एसओपी को चुनोती दी है।

एसओपी में कहा गया है कि जिला देहरादून में नशामुक्ति केंद्रों के खिलाफ बार बार शिकायत आ रही है । जाँच करने पर पता चला कि केंद्रों द्वारा मरीजों के साथ अवमानवीय व्यवहार व खान पान साफ सफाई का उचित ध्यान नही देने की शिकायत पाई गई। जिसके फलस्वरूप केंद्र संचालक व मरीजो के साथ टकराव की स्थिति बनी रहती है। इसके बाद जिला अधिकारी द्वारा 13 नवम्बर 2021 को एक एसओपी जारी की गई, जिसमें मुख्य तह निम्न शर्तों का उल्लेख किया गया है।

इसके अंतर्गत जिले के सभी नशामुक्ति केंद्रों का पंजीयन व नवीनीकरण क्लीनिकल ईस्टब्लिस्टमेंट एक्ट व मेंटल हैल्थ केयर एक्ट 2017 के तहत किया जाएगा। केंद्र का पंजीकरण हेतु 50 हजार व नवीनीकरण हेतु 25 हजार रुपये सालाना शुल्क जमा करना होगा। दूसरा पंजीकरण होने के बाद सीएमओ द्वारा एक टीम गठित कर केंद्र की जाँच की जाएगी । जारी एसओपी के अनुरूप होने के बाद ही केंद्र को लाइसेंस जारी किया जाएगा। तीसरा 20 से 25 बेड वाले केंद्र 60 स्क्वायर फिट क्षेत्रफल में होने चाहिए इससे अधिक वालो में सभी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।

चौथा 20 प्रतिशत बेड जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला प्रशाशन व पुलिस द्वारा रेस्क्यू किए गए मरीजो के लिए आरक्षित रखे जाएंगे। पांचवा प्रति मरीज अधिकतम 10 हजार रुपया महीना से अधिक शुल्क नही लिया जाएगा। छठवां सभी केंद्रों में फिजिशियन, गायनोलोजीस्ट, मनोचिकित्सक, 20 लोगों के ऊपर एक काउंसलर, मेडिकल स्टाफ, योगा ट्रेनर व सुरक्षा गार्ड की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। सातवां जिला अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक द्वारा माह में मरीजों की जाँच की जाएगी। आठवां महीने में अपने केंद्र की ऑडियो वीडियो की रिपोर्ट सम्बन्धित थाने में देनी आवश्यक है।

याचिकर्ताओं का कहना है कि जिला अधिकारी द्वारा उनके ऊपर इतने अधिक नियम थोप दिए है, जिनका पालन करना मुश्किल है। 50 हजार रुपया पंजीकरण फीस व 25 हजार नवीनीकरण फीस देना न्यायसंगत नही है जबकि केंद्र में 20 हजार रुपया है। सभी केंद्र समाज कल्याण के भीतर आते हैं। केंद्र दवाई, डॉक्टर , स्टाफ, शुरक्षा व अन्य खर्चे कहां से वसूल करेगा जबकि अधिकतम 10 हजार फीस लेनी है। याचिकर्ताओं का यह भी कहना है 22 नवम्बर को उन्होंने एसओपी वापस लेने के लिए जिला अधिकारी को प्रत्यावेदन भी दिया परन्तु उस पर कोई सुनवाई नही हुई। कोर्ट से प्रार्थना की है कि इस एसओपी को निरस्त किया जाए या इसमें संसोधन किया जाये।

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