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Mumbai: गुजराती बनाम मराठी विवाद फिर सामने आया

घाटकोपर में शिवसैनिकों को बिल्डिंग में रोका गया

मुंबई: (Mumbai) उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र (North-East Mumbai Lok Sabha constituency) के घाटकोपर की एक सोसायटी में एक बार फिर गुजरातियों की मराठी नफरत सामने आई है। महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार संजय दीना पाटिल के प्रचार पर्चे बांटने के लिए बिल्डिंग में घुसने की कोशिश कर रहे मराठी शिवसैनिक पुरुष और महिला कार्यकर्ताओं को गुजरातियों ने रोक दिया। काफी बहस के बाद पुलिस के हस्तक्षेप के कारण केवल दो लोगों को अंदर जाने दिया गया। इन सब बातों ने एक बार फिर कुछ गुजराती नागरिकों में मराठी नफरत की हद को उजागर कर दिया है।

अब तक भाजपा का मुस्लिम-द्वेषी चेहरा “मिनी पाकिस्तान”, “मिनी बांग्लादेश”, “टोपीवाले गुंडे” जैसे अपशब्दों के इस्तेमाल के कारण उजागर होता था, लेकिन घाटकोपर की ताजा घटना ने यह उजागर कर दिया है कि कुछ गुजरातियों में मराठी नफरत कितनी है। रात करीब साढ़े आठ बजे घाटकोपर पश्चिम के माणिकलाल इलाके में स्थित समर्पण नामक गुजराती बहुल सोसायटी में प्रचार करने गए शिवसैनिकों को रोक दिया गया।

कारण पूछने पर उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि वे भाजपा के पदाधिकारी हैं और उन्हें वोट देंगे, इसलिए वे अंदर नहीं जा सकते। उपस्थित पुरुष और महिला शिवसैनिकों ने दलील दी कि वे केवल पर्चे बांटने जा रहे हैं और किसी को भी वोट देना आपका अधिकार है, लेकिन फिर भी उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। काफी देर तक इसी तरह बहस करने के बाद आखिरकार पुलिस को बुलाया गया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद केवल दो लोगों को अंदर जाने दिया गया।

इससे शिवसैनिक और महाविकास अघाड़ी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में काफी रोष है और उन्होंने पुलिस और चुनाव आयोग से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाने का अनुरोध किया है। मराठी बहुल समाज में जाति, धर्म और भाषा के आधार पर इस तरह के भेदभाव का एक भी उदाहरण नहीं है, लेकिन गुजराती बहुल समाज में इस तरह की घटनाएं अक्सर होती हैं।

अब तक हमने गुजराती बहुल समाज में मराठी पुरुषों को घर और दुकान से वंचित करने के कई उदाहरण देखे हैं। लेकिन चूंकि लोकतंत्र और संविधान द्वारा प्रत्येक उम्मीदवार को उचित तरीके से प्रचार करने का अधिकार भी दिया गया है,जिसे नकारा जा रहा है, इसलिए समाज में दरार पड़ रही है और इसे समय रहते दूर करना जरूरी है।

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