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Mumbai : महाराष्ट्र में 94 प्रतिशत युवा करियर के प्रति आशावादी : सर्वे

मुंबई : उच्च सामाजिक दबाव के बावजूद महाराष्ट्र में 94 प्रतिशत युवा आशावाद और आकांक्षाओं से भरपूर हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र के युवा राष्ट्रीय औसत की तुलना में 1.5 गुना अधिक प्रयास करते हैं। यह बात एक सर्वे रिपोर्ट में सामने आई है। इसमें 20-24 साल की उम्र के 6,700 उत्तरदाताओं से प्राप्त जानकारी शामिल है, जो भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, मलेशिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे 7 देशों से हैं। यह सर्वे वीवो के आईकू ने साइबर मीडिया रिसर्च के साथ किया है। सर्वे रिपोर्ट में करियर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों पर लोगों खासकर युवाओं की राय प्रस्तुत की गई है।

अंधेरी में आयोजित एक कार्यक्रम में रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए आईकू इंडिया के सीईओ निपुण मार्या ने कहा कि द आईकू क्वेस्ट रिपोर्ट 2024 जेन-जी (खास आयु वर्ग के युवा) के सपनों, करियर और आकांक्षाओं पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हम युवाओं को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा उद्देश्य जेन-जी को कई चुनौतियों के बावजूद अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है। सर्वे रिपोर्ट पर अपने विचार साझा करते हुए साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप के वाईस प्रेसिडेंट प्रभु राम ने कहा कि आज की जटिल और डिजिटल दुनिया में युवा अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) इन बदलते उपभोक्ता पैटर्न को समझने में अग्रणी है। यह युवाओं के मार्गदर्शन का एक बेहतर प्रयास है।

सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि 72% महाराष्ट्र के जेन-जी अपने सपनों को पूरा करने के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस का त्याग करने को तैयार हैं। 94% के लिए सबसे ज्यादा खुशी मायने रखती है। 76% जेन-जी अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट के रूप में देखे जाना चाहते हैं। वहीं फाइनेंशियल सेगमेंट में प्रमुख प्रोफेशनल बनने वालों की संख्या महाराष्ट्र में राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए मौजूद सपोर्ट मैकेनिस्म में भारत में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, यह राष्ट्रीय औसत से 50% अधिक है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र के युवा राष्ट्रीय औसत की तुलना में 1.5 गुना अधिक पहल करते हैं।

वैश्विक और भारतीय स्तर पर सर्वे रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में 43% और विश्व स्तर पर 46% लोग करियर में सफल होने के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस छोड़ने को तैयार हैं। सर्वे में यह भी पाया गया कि पुरुषों की तुलना में दोगुनी संख्या में महिलाएं यह महसूस करती हैं कि लिंग उनके सपनों को पूरा करने में बाधा है। भारतीय जेन-जी में से केवल 9% लोग ही उद्यमिता अपनाना चाहते हैं, क्योंकि वे कार्य जीवन में स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं। 84% भारतीयों का मानना है कि उनकी नौकरी उनके लक्ष्यों के अनुरूप है, जबकि विश्व स्तर पर यह संख्या 72% है।46% लोगों ने कहा कि अपने पसंद के करियर को आगे बढ़ाने में वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, 90% से अधिक लोगों को बाधाओं के बावजूद अपने सपने को पूरा करने का विश्वास है। 65% लोग असफलता को एक सीख के रूप में देखते हैं।

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