Mumbai : ठाणे सिविल अस्पताल में मिली 79 वर्षीय अजीज शेख के नेत्रों को ज्योति

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मुंबई : (Mumbai) बढ़ती और ढलती उम्र के कारण जहां जीवन अंधकारमय होता जा रहा था, वहीं ठाणे सिविल अस्पताल ने एक वरिष्ठ नागरिक की आंखों में ज्योति जगाकर इस संसार को अपनी ही दृष्टि से देखने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है दरअसल भिवंडी निवासी अजीज शेख (Aziz Sheikh), जो एक दिन ठाणे रेलवे स्टेशन पर निराशा और हताशा में बैठे थे, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि विभिन्न अस्पतालों में उनकी आंखों के मोतियाबिंद इलाज असंभव है।, लेकिन ठाणे के सामान्य सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्होंने दोनों आंखों की मोतियाबिंद सर्जरी करवाने के बाद अपनी खोई हुई दृष्टि वापस पा ली है।

ठाणे जिले में भिवंडी इलाके के निवासी उम्रदराज 79 वर्षीय अजीज शेख छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करते थे। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में मेरी दृष्टि धुंधली हो गई है, जिससे काम करना मुश्किल हो गया है। चूंकि पारिवारिक आर्थिक स्थिति भी अनिश्चित थी, इसलिए बुढ़ापे में भी काम करना जरूरी था। अज़ीज़ को बड़ी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा था,क्योंकि उनकी दृष्टि बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। वह कुछ दिनों से ठाणे स्टेशन क्षेत्र में अकेले रह रहे थे। इसी दौरान समाजसेवी राघवेंद्र तिवारी की नजर अजीज पर पड़ी। जब उससे पूछा गया तो अजीज ने बताया कि वह अपनी आंखों से कतई देख नहीं सकता। ठाणे सिविल अस्पताल में अच्छी नेत्र शल्य चिकित्सा उपलब्ध है। इसलिए राघवेंद्र अजीज को इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले आए। जिला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार और अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. नेत्र विशेषज्ञ डॉ. धीरज महांगड़े (Eye Specialist Dr. Dheeraj Mahangade) के मार्गदर्शन में अजीज की दोनों आंखों की मोतियाबिंद सर्जरी सफल रही, इसकी जानकारी स्वयं जिला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार और अतिरिक्त जिला शल्य चिकित्सक डॉ. धीरज महांगड़े ने दी है।

मोतियाबिंद की सर्जरी से पहले अज़ीज़ की शारीरिक जांच की गई। इसके बाद, उन्होंने अस्पताल में अपना इलाज जारी रखा और आठ दिनों के अंतराल पर दोनों आँखों की मोतियाबिंद की सर्जरी कराई। यद्यपि इस सर्जरी में कुछ ही मिनट लगते हैं, लेकिन यह अस्पताल के लिए एक चुनौती थी क्योंकि मरीज की उम्र अधिक और कमजोरी होने से यह जोखिम भरा ऑपरेशन था। लेकिन अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ कैलाश पवार ने मरीज तथा उनके परिवार का हौसला बढ़ाते हुए यह चुनौती स्वीकार की थी।अंततः चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि यह हमारे लिए बड़ी बात है कि सर्जरी सफल रही। . मोतियाबिंद सर्जरी हेतु नेत्र शल्य चिकित्सक डॉ. डॉ. संगीता माकोड़े, नेत्र रोग विशेषज्ञ, शुभांगी अंबाडेकर तथा अश्विनी आदि ने अथक परिश्रम किया था।अजीज शेख ने कहा कि मैंने उन्हें आंखों के इलाज के लिए मुंबई और ठाणे के कुछ अस्पतालों में दिखाया, लेकिन सभी ने मना कर दिया। इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता राघवेंद्र तिवारी मुझे सिविल अस्पताल लेकर आए, जहां मेरी दोनों आंखों की सफल सर्जरी हुई। आज सिविल अस्पताल की बदौलत मैं साफ़ देख सकता हूँ। ताकि मैं अपनी जीविका कमा सकूं। इसके लिए उन्होंने डॉ कैलाश पवार तथा अस्पताल की पूरी टीम के लिए बारम्बार दुआ की है।