motivational story : सच्चा ज्ञान

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संत नान इन एक प्रसिद्ध महात्मा थे। उनके पास एक विद्वान धर्म-ज्ञान प्राप्त करने की आकांक्षा लेकर पहुंचे। नान इन ने उन्हें आदर से बिठाया और काफी देर तक वे उनसे कुछ नहीं बोले। जब चाय आई तो वे चाय केतली से प्याले में डालने लगे। उसे तब तक डालते रहे जब तक चाय प्याले से बाहर नहीं बहने लगी।

यह देख विद्वान ने कहा: ‘यह क्या कर रहे हैं आप! प्याला तो भरा हुआ है फिर भी आप चाय डाले चले जा रहे हैं?’ संत नान इन ने कहाः ‘यही बात मैं आपसे कहना चाहता था। आपमें विद्वत्ता और बाहरी ज्ञान कूट-कूट कर भरा हुआ है।

अगर मैं धर्म के बारे में कुछ कहूंगा तो आपके भीतर वह नहीं जाएगा। आपके लिए वह व्यर्थ होगा, जैसे प्याले से बाहर चाय व्यर्थ बह रही है। सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए भीतर से खाली होना पड़ेगा। पूर्व प्राप्त ज्ञान के अहंकार से जब तक मुक्त नहीं होंगे तब तक सच्चा ज्ञान हासिल नहीं होगा।