spot_img
Homeigr newsmotivational story: मोह-माया

motivational story: मोह-माया

एक खोजी ने खोजते-खोजते विष्णु को पा लिया। चरण पकड़ लिए। बड़ा आह्लादित था, आनंदित था। जो चाहिए था मिल गया था। विष्णु को खूब धन्यवाद दिया और कहा कि बस एक बात और, मुझसे कुछ थोड़ा-सा काम करा लें। कुछ सेवा करा लें। आपने जीवन दिया, जीवन का परम उत्सव दिया और अब यह परम जीवन भी दिया। मुझसे कुछ थोड़ी सेवा करा लें। मुझे ऐसा न लगे कि मैं आपके लिए कुछ भी न कर पाया। जानता हूं आपको किसी की, किसी बात की जरूरत नहीं। लेकिन मेरा मन रह जाएगा कि मैं भी प्रभु के लिए कुछ कर सका।
विष्णु ने कहा, कर सकोगे? करना बहुत कठिन होगा। गगर भक्त जिद्द पर अड़ गया तो विष्णु ने कहा, ठीक है, मुझे प्यास लगी है।

क्षीरसागर में तैरते हैं विष्णु वहां कैसी प्यास पर इस भक्त के लिए कहा कि चल ठीक, मुझे प्यास लगी है। तू जाकर एक प्याली भरकर पानी ले आ भक्त भागा समीप ही क्षीरसागर था वहीं से भर लेता। लेकिन जो पास में है वह तो किसी को दिखाई नहीं पड़ता। उसने कहा, अभी लाता हूं। भागा।

उतरा संसार में एक द्वार पर जाकर दस्तक दी। एक सुन्दर युवती ने द्वार खोला। उस भक्त ने कहा कि देवी, मुझे एक प्याली भर शीतल जल मिल जाए। युवती ने कहा, आप आए हैं ब्राह्मण देवता भीतर विराजें, मेरे घर को धन्य करें। ऐसे बाहर बाहर से न चले जाएं। फिर मेरे पिता भी बाहर गए हैं। मैं घर में अकेली हूं। वे आएंगे तो बहुत नाराज होंगे कि ब्राह्मण देवता आए और तूने बाहर से भेज दिया। आप भीतर आएं।

एक क्षण को तो ब्राह्मण देवता डरे। युवती है, सुंदर है, अति सुंदर ऐसी सुंदर स्त्री नहीं देखी विष्णु भी एक क्षण को फीके मालूम पड़ने लगे। विष्णु के फीके पड़ने में देर कितनी लगती है। भक्त डरा, घबड़ाया इसलिए कि विष्णु एक क्षण को भूलने ही लग। उसने कहा, नहीं नहीं। माथे पर पसीना आ गया। लेकिन युवती मानी नहीं उसने हाथ ही पकड़ लिया ब्राह्मण देवता का। अब विष्णु बिलकुल विलीन हो गए। वह भीतर ले गई। उसने कहा, जल तो आप ले जाएंगे, लेकिन पहले स्वयं तो जलपान कर लें।

एकांत। उस युवती का सौन्दर्य उस युवती का भाग-भाग कर ब्राह्मण देवता की सेवा करना । विष्णु धीरे-धीरे स्मृति से उतर गए। कभी-कभी, बीच-बीच में याद आती कि बेचारे प्यासे होंगे, फिर सोचता कि ठीक है। भगवान को क्या प्यास वह तो मेरे लिए ही उन्होंने कह दिया है, अन्यथा उनको क्या प्यास वे तो परम तृप्ति में हैं, ऐसी कोई जल्दी नहीं है। और दो क्षण रुक लूं।

युवती ने निमंत्रण दिया कि जब आप आ ही गए हैं, मेरे पिता भी थोड़ी देर में आते ही होंगे। उनसे भी मिल कर जाएं तो वह सहज ही राजी हो गया। युवती सेवा करती रही। युवती का सौन्दर्य और रूप मन को मोहता रहा। सांझ हो गई। पिता तो लौटे नहीं। युवती ने कहा, आप भोजन तो कर ही लें। अब सांझ को कहां भोजन करेंगे।

भोजन बना, भोजन किया। रात हो गई। युवती ने कहा, इस रात में अब कहां जाएंगे?

सोच तो ब्राह्मण देवता भी यही रहे थे कि रात में अब कहां जाएंगे। सुबह-सुबह भोर होते, ब्राह्म मुहूर्त में निकल जाने पर राजी हो गए। फिर तो वर्षों बीत गए। फिर वह वहां से निकले नहीं। फिर एक पर एक काम आते गए। ब्राह्मण देवता करें भी तो क्या करें। सुबह युवती कहने लगी कि पिता तो आए नहीं हैं। गाय का दूध दुहना है, मुझसे तो होता नहीं, आप दुह दें। तो गाय का दूध दुहा फिर बैल बीमार था। तो युवती ने कहा कि ब्राह्मण देवता, इसकी भी कुछ सेवा करें और फिर ये सब भी परमात्मा के ही हैं। बात भी जंची।

ब्राह्मण देवता रुके सो रुके। फिर उनके बेटे हुए, बेटियां हुईं, बड़ा फैलाव हो गया। पचास-साठ साल बीत गए। बेटों के बेटे हो गए। तब गांव में बाढ़ आई। भयंकर बाढ़ ब्राह्मण देवता बूढ़े हो गए हैं। अपने बच्चों को, नाती-पोतों को किसी तरह बाढ़ से निकालने की कोशिश कर रहे हैं। सारा गांव डूबा जा रहा है। भयंकर बाढ़ है। पत्नी बह गई। पत्नी को बचाने दौड़े तो जिस बच्चे का हाथ पकड़ा था, उसका हाथ छूट गया। उस किनारे पहुंचते-पहुंचते सारा परिवार विलीन हो गया बाढ़ में।

उस किनारे एक पत्थर की चट्टान पर खड़े हैं ब्राह्मण देवता और बाढ़ की एक उत्तुंग लहर आती है। लहर पर बैठे हुए विष्णु आते हैं, कहते हैं, मैं प्यासा ही हूं। तुम अभी तक पानी नहीं लाए? मैंने तुमसे पहले ही कहा था तुम न कर सकोगे। क्योंकि तुम संसार छोड़कर भागे थे। जो छोड़कर भागता है, उसका आकर्षण शेष रहता है।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर