motivational story : जबरन दान

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कहते हैं अच्छे काम के लिए समाज से धन लेने में किसी तरह का संकोच नहीं होना चाहिए। दुनिया के महानतम लोग ऐसा करते रहे हैं। बस वह धन दुनिया की बेहतरी के लिए लगना चाहिए।
यह बात देहरादून की है। बापू हरिजन कोष के लिए धन इकट्ठा करते हुए वहां पहुंचे थे। महिलाओं ने एक सभा का आयोजन किया था। दो हजार रुपयों की एक थैली भी गांधीजी को दी गई थी। अपने भाषण के बाद उन्होंने अपने-अपने आभूषण भी दान करने की बात कहीं और हाथों की अंजलि बनाकर एक भिखारी के रूप में वह महिलाओं की भीड़ में उतर पड़े ।

“यह लो ! गांधी जी, यह लो । बापू यह स्वीकार करो । महात्मा जी यह लो । ” चारों तरफ शोर मच गया। भीड़ में धक्के खाते हुए भी वह हंस रहे थे। तभी उनकी नजर एक देहाती औरत पर पड़ी। वह हाथ में इकन्नी लिए चिल्ला रही थी, “मेरी इकन्नी भी ले लो । ” /

गांधीजी ने हाथ बढ़ाकर इकन्नी ले ली और पूछा, “क्यों री पैर भी छूयेगी न?”
“हाँ-हाँ जरूर छूऊंगी।”
“देख ले, पैर छूने की एक इकन्नी और लूंगा।”
“पैर छूने का भी किराया लेते हो क्या?” उस औरत ने ताना कसा। “हां।” गांधी जी ने हंसते हुए कहा और अपने पैर आगे बढ़ा दिए। बाद में सरदार पटेल ने मजाक करते हुए कहा बापू तो पैर छूने के भी पैसे ले रहे हैं। गांधी मुस्कुराते हुए बोले न लूं तो इतना बड़ा परिवार और आंदोलन हवा खाकर नहीं चल सकेगा। अच्छे काम में जबरन भी दान लिया जा सकता है।