सौ साल बाद
भीखू रिक्शावाले का बेटा दीनू अक्सर कक्षा में बैठे-बैठे सो जाया करता था। कुपोषण की वजह से भी कमजोर था, इसलिए शिक्षक की बातों पर ज्यादा ध्यान न लगा पाता था। शिक्षक भी इस बात को समझने लगे थे। आज भी विज्ञान के शिक्षक ने उसे सोते देख लिया था, पर जगाया नहीं। पीरियड ख़त्म होने को था कि दीनू की नींद भी ख़त्म हो गई। शिक्षक ने थोड़े उपहास के साथ पूछा, आज कौन-सा मजेदार सपना देखा, दीनू?’ वह आंखें मलता हुआ बोला, ‘सर, में सौ साल बाद के संसार में पहुंच गया था। बड़ी-बड़ी इमारतें थीं। बहुत तेज चलने वाली, राकेट सरीखी गाड़ियां थीं। एक बड़े से भवन के बंद दरवाजे के सामने मेरी ही उम्र का एक लड़का और उसकी छोटी बहन चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे – ‘ग़रीब बच्चों को भूख मिटाने वाली दो गोलियां दे दो माई… एक्सपायरी डेट वाली भी चलेंगी!’