मथुरा : श्रीकृष्ण की जन्मस्थली ब्रजभूमि में कई मुस्लिम परिवार ठाकुरजी की पोशाक और मुकुट निर्माण करके अपने बच्चों का पेट पालते हैं। उनके लिए ठाकुरजी की सेवाभाव कुछ अलग ही है, उनका कहना है कि उन्हें यह काम करने से अलग ही अनुभूति महसूस होती है। जन्माष्टमी को लेकर इन दिनों उनके दिन रात एक हो गए हैं, मुकुट बनाने का कार्य ज्यादा है।
कई मुस्लिम परिवार अपने हाथों से ठाकुरजी के लिए पोशाक और मुकुट बनाते हैं। उनके हाथों से बनाई गई पोशाक और मुकुट कई शहरों के मंदिरों में भी जाते हैं। मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि पोशाक और मुकुट बनाते समय एक अलग ही अनुभूति होती है। वृंदावन और मथुरा के कई इलाकों में पोशाक और मुकुट बनाने का काम तेजी से चल रहा है। अशरम खान कहते हैं कि वह आठ साल से अपने भाई मुशर्रफ के साथ कारखाना चला रहे हैं। ठाकुर जी के मुकुट एवं पोशाक बनाना बहुत अच्छा लगता है। 12 इंच के मुकुट को बनाने में सात से आठ घण्टे लगते हैं। डेढ़ से 12 इंच तक के मुकुट बनाये जाते हैं। जन्माष्टमी पर फिलहाल मुकुट का ही काम ज्यादा है।
शविनाज का कहना है कि वह चार साल से बालगोपाल जी की पोशाक बनाने का कार्य कर रही हैं। पूरा माल घर पर ही तैयार किया जाता है। शविनाज कहती हैं कि हमारे द्वारा 0 से 2 नम्बर तक के बालगोपाल की पोशाक तैयार होती है। चौक बजार पर अपनी ही दुकान पर बेचा जाता है।
आसिफ खान ने बताया कि तकरीबन सात साल से हम सिर्फ ठाकुर जी की पोशाक बनाने का ही कार्य कर रहे हैं। फिलहाल जन्माष्ठमी के ऑर्डर पर ही काम कर रहे हैं। ठाकुर जी के सभी बैरायटियों में बहुत ही सुन्दर पोशाक तैयार किये जाते हैं। हम धर्म से मुस्लिम है पर फिर भी मन में खुशी उत्पन्न होती है। बहुत अच्छा लगता है कि हमारे द्वारा तैयार पोशाक को ठाकुरजी धारण करते हैं।