लखनऊ : अंग्रेजी और आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने कीस्टोन इंस्टीट्यूट, भारत और पीवाईएसएसयूएम के सहयोग से, “मूल्य का विचार: दिव्यांगता और सामाजिक भूमिका मूल्यांकन (एसआरवी)” शीर्षक से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय और कीस्टोन इंस्टीट्यूट के बीच विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण पाठ्यक्रम में दिव्यांगता अध्ययन के लिए किया गया।
इस समझौते से दिव्यांगता पर दोनों संस्थान मिलकर काम करेंगे। अंग्रेजी और आधुनिक यूरोपीय भाषा की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मैत्रेयी प्रियदर्शिनी ने अतिथियों एलिजाबेथ न्यूविल (कार्यकारी निदेशक कीस्टोन इंस्टीट्यूट, भारत), गीता मंडल (कीस्टोन इंडिया से), अंजू मिश्रा, डॉ. नवल चंद्र पंत (पीवाईएसएसयूएम से) और प्रो. गौरहरि बेहरा (गोरखपुर विश्वविद्यालय के वक्ता) का स्वागत किया। सम्मेलन की आयोजन सचिव प्रो. रानू उनियाल ने मुख्य वक्ता एलिजाबेथ न्यूविल का परिचय दिया।
मुख्य भाषण में “अदृश्य रंगभेद” और सामाजिक भूमिका मूल्यांकन विचार और अवधारणाएँ शामिल थीं। इसके अलावा, सत्र के बाद प्रोफेसर रानू उनियाल और प्रोफेसर फातिमा रिज़वी द्वारा संपादित “अंडरस्टैंडिंग डिसेबिलिटी”, डॉ. आरबी शर्मा और डॉ. स्तुति खरे द्वारा संपादित “द फीमेल इमेजिनेशन इन 21 सेंचुरी”, “एन” नामक कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इसमें डॉ. नवल पंत की अनप्लांड जर्नी” और कीस्टोन इंस्टीट्यूट इंडिया की पत्रिका ‘झलक’ जिसमें विभाग की पत्रिका ‘रेटोरिका’ का लॉन्च भी शामिल है। पूर्ण वक्ताओं ने दिव्यांगता और समावेशन से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की।