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Lucknow : चित्रकूट में दीपदान के बाद से देश-दुनिया में हुई थी दीपावली की शुरुआत

-लंका विजय के बाद प्रभु श्रीराम ने चित्रकूट की मंदाकिनी और कामदगिरि पर्वत पर किया था दीपदान

लखनऊ : उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे विश्व के प्रमुख तीर्थ चित्रकूट की मंदाकिनी नदी और कामदगिरि पर्वत पर भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद दीपदान किया था। त्रेतायुग में हुए इस प्रथम दीपदान में ब्रह्माण्ड के सभी देवी-देवता सम्मिलित हुए थे। दीपदान की भव्य आभा से अमावस्या का अंधकार दूर होकर पूर्णिमा के प्रकाश में बदल गया था। तभी से धर्म नगरी में दीपदान मेले की शुरुआत हुई थी और यह परम्परा आज भी जारी है।

अत्रि,सती अनुसुईया और वाल्मीकि जैसे महान ऋषियों के साथ-साथ भगवान श्रीराम की तपोस्थली होने के कारण समूचे विश्व में आदितीर्थ के रूप में विख्यात धर्म नगरी चित्रकूट में दीपावली (दीपदान) मेले का विशेष महत्व है। पांच दिनों तक चलने वाले विश्व के इस सबसे बड़े मेले में देश भर से करीब 50 लाख से अधिक लोग तपोभूमि चित्रकूट पहुंचकर माता सती अनुसुइया के तपोबल से निकली पतित पावनी मां मंदाकिनी और मनोकामनाओं के पूरक कामदगिरि पर्वत पर दीपदान कर अपने जीवन में फैले अमावस्या रूपी अंधकार को दूर कर पूर्णिमा रूपी सुख-समृद्धि के प्रकाश को प्रज्ज्वलित करते हैं।

कामदगिरि प्रमुख द्वार चित्रकूट के महंत मदन गोपाल दास महाराज ने धर्म नगरी चित्रकूट में प्रतिवर्ष होने वाले दीपदान मेले की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताते हैं कि प्राचीन मान्यता है कि भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद सबसे पहले चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत पहुंचे थे और पर्वत और मंदाकिनी नदी में माता सीता और लक्ष्मण के साथ दीपदान किया था। इस दीपोत्सव में देवता, गंधर्व और ऋषि-मुनि सभी सम्मिलित हुए थे। दीपदान से अमावस्या का अंधेरा दूर हो गया था और पूरा चित्रकूट भव्य प्रकाश से जगमग नजर आने लगा था।

प्राचीन मुखार बिंद के प्रधान पुजारी भरत शरण दास महाराज बताते है कि चित्रकूट में ही भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल के साढ़े 11 वर्ष से अधिक का समय बिताया था। चित्रकूट में दीपदान के बाद से विश्व में दीपावली पर्व की शुरुआत हुई थी। वहीं भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास बताते हैं कि प्रभु श्रीराम के मंदाकिनी और कामदगिरि पर्वत पर दीपदान के बाद से चित्रकूट में दीपदान मेले की शुरू हुई परम्परा आज भी कायम है। दीपावली के दौरान आयोजित होने वाले पांच दिवसीय मेले में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम की तपोस्थली में मां सती अनुसुइया के प्रताप से उत्पन्न मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद दीपदान करते हैं। इसके साथ ही मनोकामनाओं के पूर्णता के लिए वनवास भगवान श्रीराम के निवास स्थान रहे कामदगिरि पर्वत की पंच कोसीय प्रदक्षिणा करते हैं।

सुप्रसिद्ध भागवताचार्य आचार्य नवलेश दीक्षित,गायत्री शक्ति पीठ के व्यवस्थापक डा0रामनारायण त्रिपाठी एवं रामायणी कुटी के महंत राम हृदय दास महाराज धर्म नगरी की महत्ता बताते हैं कि इस पावन भूमि को भगवान श्रीराम ही नहीं, लाखों ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है। उन्होंने बताया कि पांच दिन तक चलने वाले दीपदान मेले में 40 से 50 लाख श्रद्धालु प्रतिवर्ष पहुंचते हैं। दीपावली की पूरी रात मंदाकिनी और कामदगिरि पर्वत पर दीपदान और परिक्रमा का कार्यक्रम चलता है। धर्म नगरी में आयोजित होने वाले सबसे बड़े दीपदान मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए यूपी-एमपी शासन-प्रशासन मुस्तैदी के साथ जुटे हुए हैं।

चित्रकूट के जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने बताया कि भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में पांच दिवसीय दीपदान मेला का शुभारंभ 09 नवम्बर से होगा। इसे लेकर यूपी-एमपी प्रशासन तैयारियों में जुटा हैं। दीपदान मेला में करीब 30 से 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। दीपदान मेला में भारी भीड़ उमड़ने के मद्देनजर आवागमन के साधनों व सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने बताया कि रामघाट से लेकर कामदगिरि परिक्रमा मार्ग, शिवरामपुर, सीतापुर व मुख्यालय कर्वी में 17 विशेष प्वाइंट चिह्नित किए गए है, जहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक जुटती है। इन प्वाइंटों पर स्टेटिक मजिस्ट्रेट तैनात रहेंगे। दो मेला नियंत्रण कक्ष व खोया पाया केन्द्र भी बनाए गए हैं। इसके अलावा कलेक्ट्रेट में कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां से पूरे क्षेत्र की जानकारी रखी जाएगी। वहीं एसपी वृंदा शुक्ला का कहना है कि पांच दिनों तक चलने वाला दीपदान मेला चित्रकूट का सबसे बड़ा मेला है। जिसमें आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं।

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