
मोरारीदास प्रभुदास हरियानी जिन्हें मोरारी बापू के नाम से भी जाना जाता है, वे एक भारतीय आध्यात्मिक नेता और उपदेशक हैं। उनका जन्म 25 सितंबर 1946 में हुआ है। वे भारत और विदेशों के विभिन्न शहरों में रामचरितमानस पर अपने प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं। “प्रवाही परंपरा” (बहती परंपरा) में विश्वास रखने वाले बापू 21वीं सदी में प्रगतिशील मानदंडों के लिए बोलते रहे हैं और उनका मानना है कि धार्मिक विश्वासों में कोई ठहराव नहीं होना चाहिए। बापू समय की आवश्यकता के आधार पर विभिन्न संभावित सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।
भगवान हमको दिखाई नहीं देता इसलिए वह मूल्यवान है। अगर आपका लक्ष्य बड़ा हो और उस पर हंसने वाले कोई न हो; तो समझना की अभी आपका लक्ष्य बहुत छोटा है। इंसान मृत्यु से नहीं मरता, भय से मरता हैं। असफल होना गुनाह नहीं है; बल्कि सफलता के लिए उत्साह न होना गुनाह है। भाग जाना बहुत ही आसान है पर जाग जाना बहुत कठिन है। आप भागो मत बल्कि जागो। गणित ठीक से सिखा नहीं मगर इतना मालूम हैं कि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। कर्म से छुटकारा पाना मुश्किल है। अपने विचारों का दान करना सबसे बड़ा दान है। आनंद की अंतिम सीमा आंसू है। जगत को प्रभावित करना आसान है, जगत को प्रकाशित करना बहुत मुश्किल है। विश्व को आज करुणा की जरूरत है। हमारे अन्दर के लोह तत्व को मजबूत रखने के लिए तीन चीजें दी गई हैं: संयम, तप और श्रम। झूठ बोलकर जीत जाने से बेहतर सच बोलकर हार जाना। जरूरी नहीं कि हर रिश्ते का अंत लड़ाई ही हो, कुछ रिश्ते किसी के ख़ुशी के लिए भी छोड़ने पड़ते हैं। कभी किसी दूसरे की तरह बनने की कोशिश मत करो। हर व्यक्ति की अपनी अपनी पहचान होती हैं।