कोरबा : (Korba) साऊथ इस्टर्न कोलफिल्ड इस्टर्न लिमिटेड (South Eastern Coalfield Eastern Limited) (एसईसीएल) की कुसमुंडा कोयला खदान में बारिश के दौरान पानी व मलबे में दबकर एक अंडर मैनेजर की मौत हो गई। रविवार सुबह रेस्क्यू टीम ने मैनेजर का शव निकाला। वहीं चार अन्य कर्मचारियों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। सैलाब की तीव्रता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि लोहे का बना रेस्ट सेल्टर भी उखड़कर मलबे में दब गया।
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनिष चंद्रा ने बताया कि देश के दूसरे सबसे बड़े कुसमुंडा कोयला खदान में यह दर्दनाक हादसा शनिवार को दोपहर करीब तीन बजे हुआ था। उस समय तेज वर्षा हो रही थी। जनरल शिफ्ट के अधिकारी व कर्मचारी ड्यूटी में थे। खदान के वीरान स्थल गोदवरी फेस में भारी वर्षा की वजह से शिफ्ट इंचार्ज व अंडर मैनेजर जितेंद्र कुमार नागरकर , माइनिंग सरदार धरमसिंह व चार अन्य कर्मचारी फंस गए। यह लोग बारिश से बचने के लिए खदान के अंदर लोहे के स्ट्रक्चर के रेस्ट सेल्टर में सभी शरण लिए हुए थे।
उन्होंने बताया कि तभी अचानक रेस्ट सेल्टर के पीछे ओवरबर्डन खदान के मिट्टी निकासी का टीला के ऊपर से पानी के साथ मलबे का सैलाब फूट पड़ा। रेस्ट सेल्टर में मौजूद छह में चार कर्मचारी किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई लेकिन अंडर मैनेजर नागरकर का गमबूट कीचड़ में फंस गया और वह भाग नहीं सके। देखते ही देखते मलबे में दब गए। धरमसिंह भी सुरक्षित स्थल की ओर भागे पर लेकिन वह भी कमर तक मलबे में दब गया। किसी तरह वह बाहर निकला तब तक उसकी हालत खराब हो चुकी थी। चूंकि इस स्थल पर कर्मचारियों का आना जाना कम होता है इस वहज से इस घटना की जानकारी तब हुई जब कुछ कर्मचारियों ने माइनिंग सरदार धरमसिंह को बेहोश अवस्था में देखा।तब वहां के लोगों को हादसे की जानकारी हुई। इससे खदान के अंदर खलबली मच गई। सबसे पहले धरमसिंह को गेवरा के विभागीय अस्पताल भेजा गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेज दिया गया। चिकित्सकों ने उनकी हालत खतरे से बाहर बताई है।
घटना की खबर मिलते ही एसईसीएल के शीर्ष अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं। एसईसीएल के उच्च अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। प्रशासन व पुलिस के अफसरों को भी जानकारी दी गई। जानकारी मिलने के बाद कुसमुंडा थाना पुलिस व पुलिस के उच्च अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। शनिवार शाम को राज्य आपदा प्रबंधन बल (एसडीआरएफ) व एसइसीएल की विभागीय रेस्क्यू टीम ने मोर्चा संभाला और मलबे में दबे अधिकारी नागरकर को निकालने की कोशिशें शुरू हुई लेकिन घटनास्थल पर अंधेरा होने पर फ्लडलाइट के वाहन मौके पर बुलाए गए पर लेकिन पर्याप्त रोशनी के अभाव में रेस्क्यू टीम को दिक्कताें का सामना करना पड़ा। घटनास्थल तक वाहन पहुंचाने के लिए मार्ग तैयार किए जाने काम शुरू किया गया। इसके बाद रविवार सुबह 7.30 बजे रेस्क्यू टीम ने अंडर मैनेजर नागरकर के शव काे बाहर निकाला।
कुसमुंडा खदान के ओव्हर बर्डन का काम गोदावरी नामक निजी कंपनी को दिया गया है। बारिशा के दाैरान ओव्हर बर्डन के काम का निरीक्षण करने जितेंद्र नागरकर समेत कई कर्मचारी अंदर गए थे। खदान में काम करने के दाैरान सुरक्षात्मक कोई कदम न उठाने काे लेकर कर्मियाें में राेष है।