कोलकाता: (KOLKATA) महान गायक किशोर कुमार अंग्रेजी में गाने और विदेशों में होने वाले संगीत कार्यक्रमों में उन गीतों को प्रस्तुत करने के लिए बेहद उत्सुक थे। लेखक और पूर्व वरिष्ठ पत्रकार प्रीतीश नंदी ने एक कार्यक्रम में यह बात कही।उन्होंने बताया कि किशोर कुमार चाहते थे कि ‘वैश्विक होने’ की अपनी इच्छा पूरी करने के लिए वह उनके लिए अंग्रेजी में गाने लिखें।
टाटा स्टील कोलकाता साहित्य सम्मेलन में पूर्व सांसद ने कहा, ‘वह अलग कारणों से अंग्रेजी में गाना चाहते थे। वह चाहते थे कि वह विदेश में होने वाले संगीत कार्यक्रमों में गाना गाएं और उसके लिए मैं गीत लिखूं। लेकिन मुझे लगता था कि यह विदेशों में काम नहीं करेगा क्योकि उनकी रचनाएं भारतीय थीं और उन दिनों उस तरह का कोई स्वतंत्र संगीत नहीं था।’हालांकि उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि यह मेरी गलती रही हो। यदि किशोर कुमार ने अंग्रेजी में गीत गाए होते तो हो सकता है कि कुछ असाधारण भी होता।’नंदी प्रतिष्ठित गायक पर एक सत्र में बोल रहे थे, जिसमें ‘किशोर कुमार- द अल्टीमेट बायोग्राफी’ के रचनाकारों अनिरुद्ध भट्टाचार्य और पार्थिव धर ने भी भाग लिया था।
किशोर कुमार के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए, नंदी ने कहा कि ‘वह एक ‘असाधारण व्यक्ति’ थे, जिनके सीमित हित थे, वह कभी-कभार ही अपने घर से बाहर निकलते थे। वह दोस्ती के विचार में विश्वास नहीं करते थे।’उन्होंने कहा कि ‘किशोर कुमार सिगरेट या शराब नहीं पीते थे और सिगरेट या शराब पीने वाले लोगों से नफरत करते थे। वह अत्यधिक प्रतिस्पर्धी थे। मैं कहना चाहूंगा कि उन्हें जीवन में ज्यादातर चीजें पसंद नहीं थीं और यही उनका करिश्मा था। आदमी की नापसंदगी उसे परिभाषित करती है।’’
उनके बारे में एक और किस्सा साझा करते हुए, नंदी ने कहा ‘वह अपने बगीचे के पेड़ों से प्यार करते थे और उन्होंने सभी पेड़ों के अलग-अलग नाम रखे थे।’
पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित नंदी ने कहा ‘वह अपने पेड़ों के साथ लंबी और निरंतर बातचीत करते थे और उनके लिए गाना भी गाते थे।… कुमार अपने नियमों से चलते थे। हम भी ऐसा करना चाहते हैं लेकिन ऐसा करने के लिए हम उतने बहादुर नहीं हैं।’