काठमांडू : (Kathmandu) चीन से महंगा ऋण लेकर बनाए गए पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण में एक हजार करोड़ रुपये के घोटाला होने का खुलासा संयुक्त संसदीय समिति की जांच में हुआ है। संसद की इस जांच समिति ने 11 बिंदुओं में अनियमितता होने और इससे संबंधित दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है।
आरपीपी अध्यक्ष राजेन्द्र लिंगदेन के संयोजकत्व में गठित इस समिति ने जांच रिपोर्ट संसद की लेखा समिति को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि इस परियोजना की प्रारंभिक अनुमानित लागत 1272 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में भ्रष्टाचार की नीयत से बढ़ाकर 2200 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया गया। निर्माण कार्य पूरा होने पर कुल 2600 करोड़ का भुगतान किए जाने का प्रमाण मिला। राजेन्द्र लिंगदेन ने कहा कि सिर्फ टैक्स छूट के नाम पर 200 करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार हुआ है और महालेखा परीक्षक ने भी रिपोर्ट के माध्यम से इस मामले को सार्वजनिक किया है। निर्माण प्रक्रिया के दौरान हजारों करोड़ रुपये का गबन किया गया है। लिंगदेन ने कहा कि इस मामले में मुकदमा चलाने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो को सिफारिश करने का निर्णय लिया गया है।
जांच समिति के एक सदस्य तथा पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रेम आले के अनुसार पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण में अनियमितताएं देश में सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने कुछ विवरण उपलब्ध नहीं कराए हैं, अगर वो भी उपलब्ध हो जाए, तो अनियमितताओं का आकार और अधिक हो सकता है। आले ने कहा कि लगभग सभी शीर्षकों में भ्रष्टाचार किए जाने की प्रमाण सहित रिपोर्ट तैयार की गई है। उनका दावा है कि हवाईअड्डे निर्माण में गुणवत्ता के स्तर में भी समझौता करके भ्रष्टाचार किया गया है। इतना ही नहीं, समझौते के विपरीत टैक्स छूट देकर राजस्व की चोरी की गई है।
पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण का अध्ययन करने के लिए गठित संसदीय जांच समिति ने सुझाव दिया है कि हवाई अड्डे के निर्माण में शामिल सभी लोगों के खिलाफ जांच की जानी चाहिए। साथ ही नेपाल नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के कार्यकारी निदेशक प्रदीप अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की भी बात उल्लेख है। यह अधिकारी पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना के इंचार्ज थे।
पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण चीन के एक्जिम बैंक से ऋण लेकर किया गया है। इसके निर्माण की जिम्मेदारी भी चीन की चाइना इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दी गई। इसके निर्माण के लिए चीन की एक्जिम बैंक ने 305 मिलियन डॉलर का ऋण दिया था। चीन की तरफ से 2 प्रतिशत के ब्याज पर ऋण दिया गया, लेकिन नेपाल की तत्कालीन ओली सरकार ने नेपाल नागरिक उड्डयन प्राधिकरण को 5 प्रतिशत के ब्याज पर वही ऋण दिया था। इस समय पोखरा विमानस्थल से होने वाली आय सीधे चीन के एक्जिम बैंक में ही जमा होती है।