काबुल : (Kabul) अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Afghanistan’s capital Kabul) में पानी का संकट गहरा गया है। राजधानी का जिला 13 सबसे अधिक प्रभावित है। यहां सुबह से शाम तक लोग पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं। बचे-खुचे जल स्रोतों पर बच्चे-बूढ़े-जवानों की लंबी कतार लगी रहती है।
तुलूअ न्यूज के अनुसार जिला 13 के निवासियों के लिए जिंदगी एक चुनौती बन गई है। हर किसी को पीने के पानी की एक घूंट की तलाश में सड़कों पर निकलना पड़ रहा है। सुबह से ही कतारें लग जाती हैं। हर कोई पानी खत्म होने से पहले अपने परिवार के लिए थोड़ा-बहुत पेयजल घर ले जाने की उम्मीद करता है।
जिला 13 के निवासी यार मोहम्मद ने कहा, “मैं हर रोज पांच बैरल पानी खरीदता हूं। पानी की खपत बहुत अधिक है। 1000 लीटर के पानी के एक बैरल की कीमत 1.1 डॉलर चुकानी पड़ रही है।”
इसी जिले के बशीर अहमद (Bashir Ahmed) ने कहा, “हम पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। सरकार से हमारी विनती है कि वह इस ओर ध्यान दे।” इस इलाके के एक नाबालिग लड़के मोहम्मद फैज ने कहा, “मैं सुबह जल्दी आता हूं और 11 बजे तक पानी की व्यवस्था करता हूं। कभी हमारे बैरल भरे होते हैं, कभी खाली रहते हैं।”
पानी की समस्या पर जल प्रबंधन विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस चुनौती से निपटने के लिए सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और देश के नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।
जल विशेषज्ञ नजीब रहमान सादीद (Water expert Najib Rahman Saadeed) ने कहा, “पंजशीर जलग्रहण क्षेत्र से पानी स्थानांतरित करने जैसी परियोजनाएं मददगार हो सकती हैं। बगदरा बांध का काम जल्द पूरा होना चाहिए।”
ऊर्जा और जल मंत्रालय के प्रवक्ता मतिउल्लाह आबेद (Matiullah Abed) ने कहा, “मंत्रालय की शाह वा एरोस बांध से काबुल तक पानी पहुंचाने की योजना है। इस्लामिक अमीरात की कैबिनेट ने प्रशासनिक कार्यालय के नेतृत्व में एक समिति गठित की है। इसमें संबंधित विभाग शामिल हैं और तकनीकी कार्य शुरू हो गया है।”
काबुल शहर को 22 जिलों में बांटा गया है। जिला 13 उनमें से एक है। तालिबान के काबुल के पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत जिला 13 में “अनौपचारिक बस्तियों” को बड़े पैमाने पर तोड़ा गया था। गैर सरकारी-लाभकारी संस्था मर्सी कॉर्प्स की रिपोर्ट के अनुसार अत्यधिक जल दोहन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है।
इस साल अप्रैल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले एक दशक में काबुल के जलस्तर में 25-30 मीटर की गिरावट आई है। इसमें पानी का दोहन प्राकृतिक पुनर्भरण से 44 मिलियन क्यूबिक मीटर (1,553 घन फीट) अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार यदि यही स्थिति रही तो 2030 तक काबुल के जलस्रोत सूख जाएंगे। इस कारण अफगान राजधानी के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा। इससे लगभग तीन मिलियन अफगान निवासियों का विस्थापन हो सकता है।