जम्मू : (Jammu) संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees) (यूएनएचसीआर) की दो सदस्यीय टीम ने जम्मू में एक झुग्गी बस्ती में रोहिंग्या मुसलमानों से मुलाकात की। इस बीच इस बात पर तीखी बहस चल रही है कि अवैध रूप से बसे अप्रवासियों को पानी और बिजली मुहैया कराई जाए या नहीं।
वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी तोमोको फुकुमुरा ने सुरक्षा सहयोगी रागिनी ट्रक्रो जुतुशी के साथ सोमवार को नरवाल के किरयानी तालाब इलाके में रोहिंग्या मुसलमानों और कुछ स्थानीय निवासियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि टीम के प्रमुख बुधवार शाम को दिल्ली लौट आएंगे क्योंकि कुछ पुलिस अधिकारियों से मिलने का उनका प्रयास विफल हो गया है।
7 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर के जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा (Jammu and Kashmir Jal Shakti Minister Javed Ahmed Rana) ने कहा कि अप्रवासियों के आवास वाली झुग्गियों में पानी की आपूर्ति बंद नहीं की जाएगी क्योंकि केंद्र से उनके निर्वासन के लिए कोई निर्देश नहीं हैं। राणा का यह बयान जम्मू के नरवाल क्षेत्र में तीन भूखंडों पर रहने वाले रोहिंग्याओं द्वारा यह दावा किए जाने के बाद आया है कि यूएनएचसीआर के साथ पंजीकृत होने के बावजूद हाल ही में उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई थी।
दो दिन बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र को जम्मू में बसे रोहिंग्या लोगों के भाग्य का फैसला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें भूख या ठंड से मरने नहीं दिया जा सकता। अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि यह एक मानवीय मुद्दा है। केंद्र सरकार को उनके (रोहिंग्या) बारे में फैसला करना चाहिए। अगर उन्हें वापस भेजना है तो ऐसा करें। अगर आप उन्हें वापस भेज सकते हैं तो उन्हें वापस भेजें। अगर आप उन्हें वापस नहीं भेज सकते तो हम उन्हें भूखा नहीं मार सकते। उन्हें ठंड से मरने नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को हमें बताना चाहिए कि हमें उनके साथ क्या करना है। जब तक वे यहां हैं हमें उनकी देखभाल करनी होगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि वह रोहिंग्याओं को जम्मू नहीं लाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यहां लाकर बसाया गया है। अगर केंद्र सरकार की नीति में कोई बदलाव होता है, तो उन्हें वापस ले लें।
हालांकि भाजपा ने जम्मू में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के बसने को एक बड़ी “राजनीतिक साजिश” बताया और शहर में उन्हें लाने और बसाने में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए सीबीआई जांच की मांग की है।
बसने वालों को पानी और बिजली कनेक्शन देने को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि ऐसा उन्हें बचाने के लिए किया जा रहा है क्योंकि वे एक “विशेष समुदाय” से ताल्लुक रखते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 13,700 से अधिक विदेशी जिनमें से अधिकांश रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक हैं जम्मू और जम्मू-कश्मीर के अन्य जिलों में बसे हुए हैं, जहां 2008 और 2016 के बीच उनकी आबादी में 6,000 से अधिक की वृद्धि हुई है।
मार्च 2021 में पुलिस ने सत्यापन अभियान के दौरान जम्मू शहर में अवैध रूप से रह रहे 270 से अधिक रोहिंग्याओं को पाया जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे और उन्हें कठुआ उप-जेल के अंदर एक होल्डिंग सेंटर में रखा।
25 नवंबर को दक्षिण जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय शर्मा ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार पुलिस को सूचना दिए बिना रोहिंग्याओं और अन्य लोगों को अपनी संपत्ति किराए पर देने वाले मकान मालिकों के खिलाफ एक बड़े अभियान में 18 एफआईआर दर्ज की गई हैं। शर्मा ने कहा कि नागरिक प्रशासन ने रोहिंग्याओं के आवास वाले भूखंडों में बिजली और पानी के कनेक्शन की सुविधा देने वाले लोगों की पहचान करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया है। भारत, 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं होने के कारण रोहिंग्याओं को अवैध अप्रवासी मानता है।