जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने बजरी परिवहन के दौरान युवक की हत्या के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है। अदालत ने सीबीआई को कहा है कि वह 60 दिन में मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में पेश करे। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश अभिषेक और नीरज की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए।
याचिका में कहा गया कि हत्या के तीन दिन बाद 29 जून, 2023 को पीपलू थाने में मामला दर्ज हुआ था। याचिकाकर्ताओं को मामले में झूठा फंसाया गया है। याचिका में कहा गया कि मरने वाला बजरी चोरी करने वाला आदतन अपराधी था। इसके अलावा चिकित्सक ने अपने बयान में माना है कि मौत चोट लगने से नहीं हुई थी। मृतक शराब का आदि था, ऐसे में उल्टी गले में फंसने के कारण उसकी मौत हुई थी। वहीं एफएसएल रिपोर्ट भी उनके खिलाफ नहीं है। इसके विरोध में पीडित पक्ष की ओर से अधिवक्ता मोहित बलवदा और उमा शंकर पांडे ने कहा कि उन्होंने समय पर रिपोर्ट दी थी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दबाव के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की गई। वहीं मृतक के गले पर गंभीर चोट सहित कुल 14 चोट आई थी। जिसके कारण उसकी मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्देश के तहत पीडित पक्ष एससी,एसटी वर्ग का होने के बावजूद उसे कानूनी कार्रवाई के लिए उचित संसाधन मुहैया नहीं कराए गए और ना ही पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी का गठन किया गया। गौरतलब है कि शंकर अपने साथियों के साथ अवैध रूप से बजरी भरकर ला रहा था। रास्ते में लीजधारक के लोगों ने उसके ट्रैक्टर को टक्कर मारी थी और बाद में उसकी हत्या हो गई थी।