जयपुर : एसीएमएम कोर्ट, जयपुर महानगर प्रथम ने पति सहित सास-ससुर के खिलाफ घरेलू हिंसा साबित नहीं होने पर इंग्लैंड में रह रही नेत्र रोग चिकित्सक पत्नी व दो बेटियों को हर महीने 15 लाख रुपए भरण-पोषण भत्ता दिलवाने वाला प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रार्थिया ने खुद व अपनी दो बेटियों के भरण-पोषण के लिए जरूरत बताई है, लेकिन वह शारीरिक व मानसिक तौर पर अयोग्य नहीं है और अपनी उच्च शिक्षित योग्यता से आय प्राप्त कर रही है। ऐसे में वह खुद व अपनी बेटियों का भरण-पोषण कर सकती है।
पति आदित्य मीना के अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि प्रार्थिया ने अपने प्रार्थना पत्र में अप्रार्थियों पर शारीरिक, मानसिक व लैंगिक तौर पर प्रताडना करना बताया है, लेकिन इस संबंध में चिकित्सकीय दस्तावेज या अन्य कोई प्रमाण पत्र पेश नहीं किया है। वहीं प्रार्थिया ने उसे अगस्त 2009 में दस दिनों तक बंधक बनाकर शारीरिक प्रताडना देने और निजता भंग करने का आरोप लगाया है। इसके बावजूद प्रार्थिया के परिजनों की ओर से इस संबंध में कोई कानूनी या सामाजिक स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में इन तथ्यों के आधार पर पति सहित अन्य पक्षकारों के खिलाफ घरेलू हिंसा साबित नहीं हो पाई है।
मामले के अनुसार प्रार्थिया ने घरेलू हिंसा कानून के तहत खुद व दोनों बेटियों के लिए अंतरिम भरण-पोषण भत्ता दिलवाने का प्रार्थना पत्र पेश किया था। इसमें कहा था कि उसकी शादी अप्रार्थी से नवंबर 2008 में हुई थी। शादी के बाद से ही पति सहित अन्य घरवालों ने उसे दहेज के लिए प्रताडित किया। पति ने उसका शारीरिक, मानसिक व लैंगिक शोषण किया। बेटियों के जन्म के दौरान भी कोई सहयोग नहीं किया और उस पर नौकरी छोडने का भी दबाव डाला। इसके जवाब में पति का कहना था कि प्रार्थिया शादी से पहले ही नेत्र चिकित्सक की नौकरी कर रही थी। उसने कभी भी उसे नौकरी छोडने के लिए नहीं कहा और ना ही प्रताडित व शोषण किया। इसलिए पत्नी व बेटियों के लिए अंतरिम भरण पोषण का प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए।