जयपुर : सशस्त्र सेना प्राधिकरण ने साथी के बैंक खाते से रुपए निकालने के मामले में सैन्यकर्मी का कोर्ट मार्शल कर बर्खास्त करने के 22 साल पुराने आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अधिकरण ने उसे समान रैंक पर मानते हुए समस्त परिलाभ व पेंशन देने को कहा है। अधिकरण ने स्पष्ट किया है कि बर्खास्तगी आदेश से बाद की अवधि का उसे वेतन नहीं दिया जाएगा। अधिकरण ने यह आदेश पूर्व सीएफएन चंद्रभान की याचिका पर दिए। अधिकरण ने कहा कि वास्तव में बैंक कर्मचारी ने अपने फायदे के लिए याचिकाकर्ता को फंसाया है और उसे सेवा से बर्खास्त कर उसके साथ घोर अन्याय किया है। इसके साथ ही अधिकरण ने आदेश की कॉपी बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक को उचित कार्रवाई के लिए भेजा है।
याचिका में अधिवक्ता प्रवीण बलवदा ने अधिकरण को बताया कि याचिकाकर्ता 7011 ईएमई बटालियन जालंधर में सीएफएन के पद पर कार्यरत था। उस पर आरोप था कि उसने 4 दिसंबर, 2001 को एसबीआई बैंक की जालंधर कैंट शाखा में सीएफएन एसपी सिंह के खाते से उसके फर्जी साइन कर 35 हजार रुपए निकाल लिए। इस मामले में उस पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की गई और 5 मार्च, 2002 को उसे तीन माह का सिविल कारावास देते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया। याचिका में कहा गया कि उसे रुपए की जरुरत थी और उसने बैंककर्मी जीपी सिंह को इस बारे में बताया था। इस पर जीपी सिंह ने उसे दस दिन के लिए यह राशि एक हजार रुपए ब्याज काटकर दी थी। इस दौरान बैंक के निकासी फॉर्म पर जीपी सिंह ने साइन किए थे। वहीं तय समय पर याचिकाकर्ता ने यह राशि लौटा दी भी थी। मामले में कोर्ट मार्शल की कार्रवाई में घटना के मुख्य आरोपी जीपी सिंह को सरकारी गवाह बनाया गया और उसकी गवाही पर याचिकाकर्ता को दंडित किया गया। जबकि उसकी गवाही विश्वसनीय नहीं थी और उसने खुद को बचाने के लिए याचिकाकर्ता पर दोष मढ़ दिया। जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने कोर्ट मार्शल के आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को समान रैंक का परिलाभ देने को कहा है।