प्रेरक प्रसंग: अडिगता

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एक बार पांच-छह साल की एक लड़की डेढ़ साल के तन्दुरूस्त लड़के को गोद में लिए खेत से घर की ओर जा रही थी। चार कदम चलती थी और बच्चे को गोद से उतारकर पसीना पोंछने लगती थी।

एक युवा ने आगे बढ़कर पूछा-“भारी है?”

लड़की ने बच्चे को गोद में सहेजते-समेटते हुए कहा-“भारी नहीं भाई है।”

उस युवा को लड़की की बात बहुत अच्छी लगी और उसने इस घटना को अपनी डायरी में कलमबद्ध कर दिया। कालांतर में ये युवा कथाकार सदर्शन के नाम से प्रख्यात हुए। इनकी ‘हार की जीत’ कहानी अत्यंत प्रसिद्ध है।

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