गुजवि में इंडो-जर्मन कार्यशाला का समापन
हिसार : गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा है कि सेंसर तकनीक भविष्य की तकनीक है। इस तकनीक से आने वाले समय में जीवन बहुत अधिक आसान होने वाला है। प्रो. विनोद छोकर शनिवार को विश्वविद्यालय के बायो एंड नेनो टेक्नोलॉजी विभाग तथा आरडब्ल्यूटीएच आचेन विश्वविद्यालय, जर्मनी के संयुक्त तत्वाधान में ‘सेंसर्स फॉर हेल्थकेयर एंड इनवायर्नमैंटल एप्लीकेशंस (एसएचएचईए-2024)’ विषय पर हुई इंडो-जर्मन कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता कार्यशाला के संयोजक प्रो. नीरज दिलबागी ने की।
प्रो. छोकर ने इस अवसर पर कहा कि विश्वविद्यालय के बायोनैनो टेक्नोलॉजी विभाग में बायो इन्क्यूबेटर बनाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा सहयोग किया जाएगा। इन्क्यूबेटर बनाने में आईआईटी चैनेई का सहयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेंसर तकनीक में रोजगार तथा शोध की अपार संभावना हैं। विद्यार्थियों को इसके लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
प्रो. नीरज दिलबागी ने स्वागत संबोधन देते हुए बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन हॉल नम्बर एक में डा. विवेक पचौरी ने ’ऑन दा डिजाइन ऑफ बायोनैनोइंटरफेसिज फॉर मॉनिटिरिंग मोलीक्यूलर इंटरैक्टशन’, डा. जयदीप भट्टाचार्य ने’ अल्ट्रा सेन्सीटिव ऑप्टीकल एंड इलेक्ट्रोनिक सेंसिंग ऑफ एबायोटिक एंड बायोटिक कंटेम्निेंट्स यूजिंग नैनोस्ट्रक्चोरज’, प्रो. आकाशदीप ने ’डवलपमेंट ऑफ फ्ल्यूरेसैंट सेंसर्ज फॉर इन्वायरमैन्टल पोलूटैन्टस’ डा. गंगाराम चौधरी ने’ फंग्शनल नैनोमैटिरियलज फॉर डायग्नोस्टिक एंड ट्रीटमेंट ऑफ इंडस्ट्ररीयल एफ्यूएन्टैस’ विषय पर अपने संबोधन दिए।
कार्यशाला में 130 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। मंच संचालन डा. सपना ग्रेवाल तथा डॉ. मनीक्षी पॉल ने किया। इस अवसर पर कार्यशाला के संयोजक प्रो. संदीप कुमार, प्रो. नमिता सिंह, डा. रविंद्र कुमार, डा. राकेश यादव, डा. केडी रावत, डा. नैन तारा, डा. गौरव भंजाना तथा डा. मंजीत भी उपस्थित रहे।