अफसरों से गुहार लगाने के बाद कमिश्नर की चौखट पहुंची महिला
हमीरपुर : जिले में एक महिला को उसके ही जीते जी राजस्व डिपार्टमेंट ने मुर्दा घोषित कर दिया है। प्रशासन के अफसरों के यहां गुहार लगाने के बाद भी उसे जिन्दा नहीं माना गया। तब उसने चित्रकूट धाम बांदा मंडल के कमिश्नर की चौखट में पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है।
पीड़ित महिला का आरोप है कि उसके ही मायके वालों ने जमीन जायदाद के चक्कर में मुर्दा घोषित कराया है। फिलहाल इस मामले की जांच के निर्देश जारी कर दिए गए है। एसडीएम सदर पीपी पाठक ने बुधवार को बताया कि महिला की शादी होने के बाद उसका नाम वरासतनामा से हटाया गया है।
जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के इंगोहटा गांव के दिनेश मिश्रा ने अपनी बेटी गौरी मिश्रा की शादी काफी समय पहले कर दी थी। उसने अपनी बेटी के नाम मरने से पहले सात बीघे जमीन लिख दी थी। ये जमीन लाखों रुपये कीमत की हैं, जिसे हड़पने के लिए उसका भाई और चाचा ने बड़ा ही खेल खेला। राजस्व अभिलेखों में गौरी मिश्रा के नाम पूरी जमीन दर्ज होने के बाद भी मायके वालों ने अपने नाम करा लिया। अभिलेखों में उसे मुर्दा भी घोषित कर दिया गया। यह मामला सामने आने के बाद गौरी मिश्रा ससुराल से मायके पहुंची जहां उसे धमकी देकर भगा दिया गया।
महिला ने इस मामले को लेकर प्रशासन के अधिकारियों से शिकायतें कर कहा कि वह तो अभी जिन्दा है फिर क्यों उसे मृत घोषित कर दिया गया है। लेकिन कोई भी अधिकारी ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की। ये महिला लगातार इस मामले को लेकर परेशान रही। इधर इंगोहटा क्षेत्र के लेखपाल महेन्द्र कुमार का कहना है कि वरासतनामा में गौरी मिश्रा का नाम अंकित था, लेकिन शादी होने के बाद उसका नाम वरासत से हटा दिया गया है। किसी को मृत घोषित नहीं किया गया है।
एसडीएम सदर पीपी पाठक ने बताया कि महिला की शादी होने के बाद उसका नाम वरासतनामा से हटाया गया है। यह कार्रवाई परिवार के लोगों के आवेदन करने पर नियमों के मुताबिक हुई है। अभिलेखों में महिला को मृत घोषित नहीं किया गया है। सिर्फ वरासतनामा से नाम हटा है।
कमिश्नर की चौखट पहुंची महिला, खुद के जिंदा होने की सुनाई दास्तान
इंगोहटा की गौरी मिश्रा अपने पति के साथ पिछले दिनों कमिश्नर के यहां पहुंची और खुद के जिंदा होने और रिश्तों को खत्म किए जाने की दास्तान सुनाई। उसने बताया कि इस खेल में मां और भाई के अलावा चाचा भी शामिल है। इन लोगों ने बताया कि कुछ माह पहले पिता की मौत हो गई थी। जिसके बाद पिता की जायदाद का वरासतनामा बनवाया गया। इसमें उसका भी नाम शामिल था। वरासतनामा में उसके नाम सात बीघे जमीन आई थी लेकिन मां, भाई और चाचा ने राजस्व कर्मियों और अफसरों से मिलकर उसे मुर्दा घोषित करा दिया। इतना ही नहीं सात बीघे जमीन भी इन लोगों ने अपने नाम करवा ली है।