गोरखपुर : साउथ अफ्रीका में तालाब और पोखरों के जल को शोधित कर स्वच्छ बना रही गुजरात की कंपनी वेलिएंट इंटैक प्राइवेट लिमिटेड खुद के खर्चे पर गोरखपुर के मोती पोखरा के जल को स्वच्छ बनाएगी। पोखरे के जल के शोधन में कंपनी अपनी नैनो बबल तकनीक का इस्तेमाल करेगी। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल के निर्देश पर कंपनी के नाम कार्यदेश जारी हो गया है। कंपनी अपने दावे पर खरा उतरने में सफल रही तो उसे नगर निगम अपने दूसरे तालाब और पोखरों के जलशोधन का काम सौंपेगा।
बशारतपुर स्थित मोती पोखरे की सफाई वेलिएंट इंटैक प्राइवेट लिमिटेड, नैनो बबल तकनीक के जरिए ‘एरेटर’ की मदद से करेगी। एरेटर छोटे-छोटे बुलबुलों की मदद से पानी की सफाई करता है। बल्कि तालाब के बाहर से ऑक्सीजन लेकर उसे तालाब के तल तक धकेलता है। ऐसे में जल में आक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा रहती है। आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में होने के कारण तालाब के जल में लाभकारी बैक्टीरिया को पनपने और खुद को तेजी से विस्तारित करने का अवसर मिलता है। नैनो बबल पानी में घुलित आक्सीजन की उपलब्धता हर तरफ बढ़ा देते हैं।
वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल ने नगर निगम की इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से नगर निगम क्षेत्र के 90 से ज्यादा तालाबों को संरक्षित करने और उनका जल शोधन करने का मार्ग प्रशस्त होगा। तालाबों का इको सिस्टम भी सुधरेगा।
38.05 लाख रुपये खर्च होंगे
इस पूरे प्रोजेक्ट पर 30.05 लाख रुपये खर्च होंगे जिसका खर्च फर्म स्वयं उठाएगी। इसके अलावा हर साल इसके संचालन और रखरखाव पर 6.11 लाख रुपये खर्च होंगे। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कई उपकरण ताल में लगाए जाएंगे, इन उपकरणों की उम्र कंपनी के दावे के मुताबिक 15 साल है।
नगरनिगम के अधिकारियों का कहना है फर्म के प्रस्ताव पर पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में मोती पोखरे को साफ करने की जिम्मेदारी दी गई। प्रयोग सफल रहा तो इसी तरीके से शहर के अन्य तालाबों की भी सफाई की जाएगी। फर्म जल्द ही अपना काम शुरू करेगी।