Gorakhpur : हुनरमंद उंगलियों को फुर्सत नहीं, ऑर्डर फुल

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टेराकोटा शिल्पकारों के पास अभी से दशहरा, दीपावली के ऑर्डर की भरमार

काम की अधिकता से शिल्पकार नहीं ले रहे नए ऑर्डर

गोरखपुर : छह साल पहले तक गोरखपुर के विशिष्ट माटी शिल्प टेराकोटा के हुनरमंद कभी बाजार को तरसते थे। लेकिन, टेराकोटा को ओडीओपी योजना में शामिल के बाद इसके बाजार का विस्तार हुआ। अब शिल्पकारों को डिमांड रोकनी पड़ रही है। दशहरा, दीपावली आने में तीन माह से अधिक का समय है, लेकिन टेराकोटा का ऑर्डर फुल है। कभी काम को तरसने वाले हुनरमंदों के खाली हाथ, अब काम की अधिकता से नाये ऑर्डर लेने से मना कर रहे हैं।

यूं तो अभी जून का महीना समाप्त होने वाला है लेकिन गोरखपुर के टेराकोटा शिल्पकारों के पास तीन महीने बाद आने वाले दशहरा-दीपावली तक के त्योहार के लिए ऑर्डर भरे पड़े हैं। जबकि छह साल पहले तक बाजार और मांग के अभाव में शिल्पकार प्रायः खाली बैठे रहते थे। टेराकोटा शिल्प, उद्यम में क्या बदला, शिल्पकारों की जिंदगी बदल गयी। बहुआयामी और महत्वाकांक्षी एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल हुआ तो गोरखपुर की सीमा से बाहर निकला और अब इनके पास इतने अधिक ऑर्डर मिल चुके हैं कि नाये ऑर्डर लेने की फुर्सत ही नहीं है।

ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम योगी की अगुवाई में जबरदस्त ब्रांडिंग भी हुई। बाजार का अपार विस्तार हो गया। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन मशीन आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुनी हो गई।

30 से 40 प्रतिशत नए कारोबारी जुड़े

वर्तमान में टेराकोटा के मूल गांव औरंगाबाद के साथ ही गुलरिहा, भरवलिया, जंगल एकला नंबर-2, अशरफपुर, हाफिज नगर, पादरी बाजार, बेलवा, बालापार, शाहपुर, सरैया बाजार, झुंगिया, झंगहा क्षेत्र के अराजी राजधानी आदि गांवों में टेराकोटा शिल्प का काम वृहद स्तर पर चल रहा है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद बाजार बढ़ने से करीब 30-35 फीसद नए लोग भी टेराकोटा के कारोबार से जुड़े हैं। इन्हें अब बारहों महीने काम मिल रहा है

कहते हैं शिल्पकार

राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिल्पकार राजन प्रजापति का कहना है कि साल के शुरुआत में ही इतना ऑर्डर मिल गया कि नए ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। दो माह से तो दशहरा-दीपावली के ही ऑर्डर पर काम चल रहा है। टेराकोटा के सजावटी उत्पादों की सर्वाधिक मांग हैदराबाद, गुजरात, बेंगलुरु, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पांडिचेरी, मुंबई आदि राज्यों से है।

राज्य पुरस्कार से सम्मानित टेराकोटा शिल्पी पन्ने लाल प्रजापति कहते हैं कि बाबा जी (सीएम योगी) ने हमारे टेराकोटा का ऐसा कायाकल्प करा दिया है कि काम की कोई किल्लत ही नहीं है। हम सजावटी उत्पाद तो बना ही रहे हैं, मशीन लगाकर रोजमर्रा की जरूरत वाले कुल्हड़ भी बड़े पैमाने पर बना रहे हैं। टेराकोटा की महिला शिल्पकार पूनम आजाद भी मानती हैं कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से काम इतना बढ़ गया है कि तनिक भी फुर्सत नहीं मिल पा रही। कभी स्थानीय बाजार में ही उत्पाद नहीं बिक पाते थे जबकि आज हमारे उत्पाद की मांग पूरे देश में हैं।