गोरखपुर:(Gorakhpur) राज्य सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बीते 55 दिनों में यानी 15 सितंबर से 09 नवंबर तक गोरखपुर एवं बस्ती मंडल में इसकी संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले दो गुनी हो गयी है। पिछले साल जहाँ सिर्फ 36 मामले थे, वहीं इस वर्ष अब तक 76 मामले दर्ज हो चुके हैं। सभी मामले सेटेलाइट की मदद से दर्ज हुए हैं।
इन मामलों में संबंधित तहसीलों के एसडीएम को किसानों के खिलाफ जुर्माना वसूलने एवं रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वालों का मानना है कि धान की फसल की कटाई जोर पकड़ने पर फसल अवशेष और पराली जलाने के मामले और बढ़ेंगे।
अधिकारियों के मुताबिक गोरखपुर एवं उसके आसपास के जिलों में निरंतर खराब होती वायु गुणवत्ता के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण एवं सड़कों पर उड़ती धूल, वाहनों के इंजन से निकलने वाला धुंआ, ग्रामीण क्षेत्रों में जलाए जाते कचरे के साथ पराली जलाने के गोरखपुर बस्ती मंडल में बढ़ते मामले भी जिम्मेदार हैं। वर्ष 2020 में गोरखपुर बस्ती मंडल में पराली जलाने के 144 मामले दर्ज हुए थे। सरकार ने सख्ती शुरू की तो वर्ष 2021 में यह आंकड़ 79 पर आ गया। वर्ष 2022 में सेटेलाइट के जरिए दोनों मंडलों में 36 मामले दर्ज किए गए, लेकिन इस वर्ष 15 सितंबर से 09 नवंबर तक 76 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। सिद्धार्थनगर जिले में सर्वाधिक 17 मामले दर्ज हुए हैं। इसी तरह महाराजगंज जिले में 12, गोरखपुर जिले में 11, बस्ती जिले में 07, संतकबीरनगर जिले में 09 मामले दर्ज किए गए हैं। देवरिया और कुशीनगर जिलों में 10-10 मामले सामने आए हैं।
उप कृषि निदेशक गोरखपुर डॉ अरविंद सिंह कहते हैं कि गोरखपुर के सभी 11 मामलों की पड़ताल कराई गई तो पराली जलाने का सिर्फ 01 मामला बेलघाट ब्लाक के गांव का सामने आया। चूंकि यह गांव गोला तहसील में पड़ता है, स्थानीय एसडीएम को अग्रिम कार्रवाई के लिए लिखा गया है। 03 मामले गैलेंड पॉवर की चिमनी से निकले धुंए और शेष कूड़ा जलाए जाने के थे। गोरखपुर में वास्तव में सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी गोरखपुर संजय मीणा ने किसानों से कहा है कि अपने खेतों में पराली एवं फसल अवशेष को न जलाएं। नजदीकी गोशाला को दान करें अथवा सीबीजी प्लांट धुरियापार के एग्रीगेटर एफपीओ को सूचित करें। वे पराली खेतों से निकाल कर सीबीजी प्लांट को पहुंचा देंगे।
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे हेरिटेज फाउंडेशन के मनीष चौबे कहते हैं कि गोरखपुर जिले के 20 ब्लाक में सिर्फ 22 प्रतिशत तक धान के खेतों में कटाई हुई है। गेहूं की बुआई इस बार विलंब से होगी। ऐसे में खेतों को खाली करने के लिए धान की फसल के अवशेष जलाने की वारदात में और इजाफा होने की संभावना है। प्रशासन को इस पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।