गांधीनगर : (Gandhinagar) मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने तथा मछुआरों की आजीविका में सुधार के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने देश भर में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) (PMMSY) लागू की है। इसके अंतर्गत मत्स्योद्योग के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को केंद्र में रखा गया है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत गुजरात में वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक विभिन्न घटक परियोजनाओं के लिए भारत सरकार की ओर से कुल 897.54 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। वर्ष 2025-26 के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत गुजरात को 50 करोड़ रुपए की ग्रांट आवंटित की गई है। इससे भी राज्य में मत्य्ध पालन की गतिविधियों को गति मिल रही है।
प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) देश में ब्लू इकोनॉमी विकसित करने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था, “हम एक ऐसे भविष्य की ओर अग्रसर हैं, जहां ब्लू इकोनॉमी, ग्रीन प्लेनेट के निर्माण का एक माध्यम बनेगी।” गुजरात में देश की सबसे लंबी 2340.62 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जो देश में ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) के विकास में अहम योगदान दे सकती है। राज्य में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करने और मछुआरों को आर्थिक रूप से और अधिक समृद्ध बनाने के लिए गुजरात सरकार ने भी विभिन्न प्रोत्साहक पहलें और नीतियां क्रियान्वित की हैं। इसके चलते आज गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन (production of marine fish) में देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
पिछले 4 वर्षों में गुजरात में औसत वार्षिक मत्स्य उत्पादन (average annual fish production) का आंकड़ा 8.56 लाख मीट्रिक टन रहा है। वर्ष 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) में राज्य में समुद्री मछली का उत्पादन 7,04,828 मीट्रिक टन और अंतरदेशीय मछली का उत्पादन 2,03,073 मीट्रिक टन था। इस प्रकार, वर्ष 2023-24 में राज्य का कुल मछली उत्पादन लगभग 9,07,901 मीट्रिक टन रहा था। वर्ष 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) में राज्य में अनुमानित 7,64,343 मीट्रिक टन समुद्री मछली उत्पादन और 2,72,430 मीट्रिक टन अंतरदेशीय मछली उत्पादन के साथ राज्य का कुल मछली उत्पादन लगभग 10,36,773 मीट्रिक टन अनुमानित है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana), मत्स्य उत्पादन, उत्पादकता और गुणवत्ता से लेकर टेक्नोलॉजी, पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग तक मत्स्य पालन वैल्यू चेन में विद्यमान महत्वपूर्ण खामियों को दूर करने के लिए डिजाइन की गई है। इस योजना का उद्देश्य वैल्यू चेन को आधुनिक और मजबूत बनाना, ट्रेसेबिलिटी बढ़ाना और एक मजबूत मत्स्य पालन प्रबंधन ढांचा स्थापित करने के साथ-साथ मछुआरों का सामाजिक और आर्थिक कल्याण सुनिश्चित करना है।
राज्य सरकार (state government) ने मत्स्य पालन क्षेत्र में अनेक पहल शुरू की हैं, जिनमें डीजल की वेट दर में कमी, केरोसिन और पेट्रोल की खरीद पर सब्सिडी की सुविधा, झींगा मछलियों के पालन के लिए भूमि प्रदान करना, सड़क एवं बिजली की सुविधाएं और छोटे मछुआरों के बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे में सुधार आदि शामिल हैं। इसके साथ ही, माढवाड़, नवाबंदर, वेरावल-2 और सूत्रापाडा में चार नए मत्स्य बंदरगाहों का निर्माण किया जा रहा है।
चालू वर्ष 2025-26 के लिए राज्य सरकार द्वारा मत्स्योद्योग के विकास के लिए अनेक नई पहल शुरू की गई हैं, जिनमें मत्स्य पालन और उत्पादन के लिए बायोफ्लोक/रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (Recirculating Aquaculture System) (RAS) की स्थापना में सहायता, झींगा तालाब की पूर्व तैयारी के लिए दवाई, मिनरल तथा भोजन के रूप में दिए जाने वाले प्रोबायोटिक की खरीद पर सहायता, केज कल्चर के लिए सहायता शामिल है।
इसके अलावा, आधुनिक बोट बिल्डिंग यार्ड (modern boat building yards) की स्थापना और बोट मालिकों, मत्स्योद्योग सहकारी मंडलियों और मत्स्य व्यापारियों के लिए ब्लास्ट फ्रीजर और कोल्ड स्टोरेज की स्थापना पर सहायता के साथ-साथ परंपरागत मछुआरों के लिए नाव (रिप्लेसमेंट) और जाल प्रदान करना, मछली उप-उत्पाद प्रसंस्करण इकाई और सी-वीड बैंक की स्थापना तथा झींगा/मछली/केकड़ा हेचरी की स्थापना और सी-वीड कल्चर आदि के लिए भी सहायता (राफ्ट/ट्यूब नेट) दी जाएगी।