East Champaran: जलवायु परिवर्त्तन के दौर में लेमनग्रास की खेती बेहतर विकल्प

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पूर्वी चंपारण:(East Champaran) जलवायु परिवर्त्तन के इस दौर में परंपरागत खेती से हटकर औषधीय खेती की ओर कदम बढ़ाना किसानों के लिए काफी लाभदायक हो सकता है,जिसमे लेमनग्रास की खेती एक बेहतर विकल्प है।कम खर्च में बेहतर मुनाफा देने वाला लेमनग्रास एक मध्यम ऊंचा घासीय पौधा है जिसके पत्ते और खुशबूदार तने की मांग औषधीय उद्योगों में बढ़ी है।

इसकी खेती करने का सबसे अच्छा समय फरवरी से अगस्त बीच बताया गया है।वही एक बार लगाने के बाद इसकी छह से सात बार कटाई की जा सकती है,मुख्यत: साल में तीन से चार बार इसकी कटाई होती है।लेमन ग्रास लगाने के 3 से 5 महीने बाद इसकी पहली कटाई की जाती है। लेमनग्रास की बढवार धूप के साथ अच्छी वर्षा वाले क्षेत्रों में तेजी से होती है। ठंडी जलवायु में इसकी पैदावार कम होती है।ऐसे में इसकी खेती के पूर्व उपयुक्त जलवायु की जांच जरूरी है।इसकी पैदावार के लिए पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी होनी चाहिए। ग्रास तोड़कर सूंघने पर नींबू की तेज खुशबू आए तो समझ जाएं कि यह तैयार हो गया है। जमीन से 5 से 8 इंच ऊपर इसकी कटाई करनी होती है।

कैसे करें खेती

लेमनग्रास की खेती के लिए सबसे पहले खेत की मेड़ तैयार करे। इसके बाद लेमनग्रास के बीजों को रोप कर हर 15 दिन के अंदर पानी दे। 30 दिन तक पानी जरूर डाले।ध्यान रहे जलभराव वाले क्षेत्रो में इसकी खेती न करे।

लेमनग्रास का उपयोग और मांग

लेमनग्रास एक बहुमुखी फसल है। जिसमें कई गुण होने के कारण इसकी मांग और मूल्य दोनों ही समान से रूप बने रहते है।ऐसे तो लेमनग्रास को सीधे बाजार में बेचा जा सकता है,क्योकी इनकी पत्तियों की मांग विभिन्न रेस्टोरेंट्स,फूड बेवरेज उद्योग, और अन्य खाद्य व्यवसायों में हमेशा रहती है। दूसरी ओर इसके बाजार का आनलाइन रिसर्च करके भी बेच सकते हैं।लेमनग्रास की पत्तियों को चाय पत्ती में मिलाया जाता है,साथ ही औषधीय गुणो के कारण इसके तेल की भी बहुत मांग है,त्वचा व बाल की समस्या वाले रोगो में भी इसकी बड़ी मांग है। लेमन ग्रास का तेल 1500 से 2000 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है,साथ ही आप इसकी चाय बनाकर भी बेच सकते हैं।