धर्मशाला : (Dharamshala) केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) (Central Tibetan Administration) ने बुधवार को तिब्बती आध्यात्मिक नेता धर्मगुरु दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize to Tibetan spiritual leader His Holiness the Dalai Lama) प्रदान किए जाने की 36वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, फ़िजी, चिली, चेक गणराज्य, फ्रांस और इटली से आए अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। समारोह उनके 90वें जन्मवर्ष के उपलक्ष्य में भी विशेष रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत तिब्बत और भारत के राष्ट्रगानों और इस अवसर पर समर्पित एक गीत के साथ हुई। इसके बाद सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने काशाग (Sikyong Penpa Tsering then read the Kashag statement) का बयान पढ़ा, जिसमें उन्होंने दलाई लामा के अहिंसा, करुणा और वैश्विक नैतिकता के संदेश के महत्व को रेखांकित किया।
चेक गणराज्य का प्रतिनिधिमंडल सबसे बड़ा रहा, जिसका नेतृत्व सीनेट की उपाध्यक्ष जित्का सेइटलोवा ने किया। उनके साथ सीनेटर, सांसद, वरिष्ठ संसदीय अधिकारी, शिक्षाविद, मीडिया प्रतिनिधि और तिब्बत समर्थक भी उपस्थित रहे। सीटीए की प्रतिनिधि थिन्ले चुक्की ने उनका साथ दिया। वक्ताओं ने दलाई लामा और पूर्व चेक राष्ट्रपति वाक्लाव हावेल के बीच गहरी मित्रता का उल्लेख करते हुए दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया।
ऑस्ट्रेलिया की ओर से सीनेटर बारबरा पॉकॉक, सांसद केट चेनी और सांसद सारा जेन विट्टी उपस्थित रहीं। न्यूज़ीलैंड के सांसद ग्रेग फ्लेमिंग और डंकन वेब, और फ़िजी के सांसद वीरेन्द्र लाल ने भी समारोह में हिस्सा लिया। प्रशांत क्षेत्र के प्रतिनिधिमंडलों के साथ प्रतिनिधि कर्मा सिंगे और ऑस्ट्रेलिया तिब्बत काउंसिल के सदस्य भी मौजूद थे।
चिली से आए उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व निर्वाचित सीनेटर वलाडो मिरोसेविक ने किया। उनके साथ कई सांसद और ‘चिलियन फ्रेंड्स ऑफ तिब्बत’ के सदस्य भी शामिल थे। फ्रांस की सांसद सामंथा काज़ेबोन और इटली के तिब्बत समर्थक गुएंथर कोलोग्ना और लूसी बत्तु ने यूरोप का प्रतिनिधित्व (French MP Samantha Cazabonne and Italian Tibet advocates Guenther Cologna and Lucy Battu represented Europe) किया
विभिन्न देशों के वक्ताओं ने तिब्बती मुद्दे के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुए दलाई लामा के वैश्विक शांति संदेश की सराहना की। फ़िजी के सांसद वीरेन्द्र लाल ने दलाई लामा के नैतिक नेतृत्व और दृढ़ता की प्रशंसा की। न्यूज़ीलैंड के सांसद ग्रेग फ्लेमिंग ने तिब्बती भाषा और संस्कृति की रक्षा पर जोर दिया। फ्रांस की सांसद काज़ेबोन ने करुणा और संवाद पर आधारित दलाई लामा की शिक्षाओं के सार्वभौमिक मूल्य को रेखांकित किया।
चिली के वलाडो मिरोसेविक ने तिब्बत में मानवाधिकार हनन और तिब्बती बच्चों को जबरन समाहित करने की नीतियों की आलोचना की। ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर बारबरा पॉकॉक ने तिब्बत में औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों की व्यवस्था समाप्त करने की मांग की और तिब्बतियों के साथ एकजुटता व्यक्त की। इसके बाद निर्वासित तिब्बती संसद के सभापति खेनपो सोनम तेनपेल (Tibetan Parliament-in-Exile, Khenpo Sonam Tenpel) ने संसद का बयान पढ़ा। कार्यक्रम में कुंचोक सेरिंग की नई पुस्तक और तिब्बती लोकतंत्र की यात्रा पर आधारित एक चित्रात्मक पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया।
इस मौके पर सीटीए के छह कर्मचारियों को दीर्घकालीन सेवा के लिए सम्मानित किया गया। तिब्बती कला केंद्र (टिप्पा) और तिब्बती स्कूलों के छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।



