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Dehradun : नए प्रतिमान गढ़ेगी चारधाम यात्रा, देश-दुनिया को रिझाएगी फूलों की घाटी

देहरादून : हिमालय के ऊंचे शिखर, नदियां, झरने, सर्पाकार सड़कें, घने जंगल, झील और हर पहाड़ पर पवित्र मंदिर। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यह खूबसूरत प्रदेश दो मंडलों (कुमाऊं व गढ़वाल) और 13 जिलों में बंटा हुआ है। हिंदुओं की आस्था के प्रतीक पवित्र चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यहीं स्थित हैं। शनिवार से वैली ऑफ फ्लॉवर खुलने से तीर्थयात्रा के साथ अब फूलों की घाटी भी देश-दुनिया को रिझाएगी।

उत्तर का यह पहाड़ी राज्य गंगा और यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है। खूबसूरत झीलें, हिल स्टेशन, नेशनल पार्क, ग्लेशियरों और वैली ऑफ फ्लॉवर (फूलों की घाटी) का भी घर है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। उत्तराखंड राज्य अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, घने जंगलों, ग्लेशियरों और बर्फ से ढंकी चोटियों के लिए जाना जाता है। इन दिनों चारधाम यात्रा के साथ हेमकुंड साहिब यात्रा को लेकर तीर्थयात्रियों का उत्साह चरम पर है। अब तो शनिवार से फूलों की घाटी भी पर्यटकों के लिए खुल दिए गए हैं। तीर्थयात्रा के साथ अब फूलों की घाटी भी देश-दुनिया को रिझाएगी।

आस्था के प्रतीक बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री धामों के कपाट खुलने के साथ ही देवभूमि के स्वरूप को परिलक्षित करने वाली चारधाम यात्रा से राज्य की आर्थिकी भी जुड़ी है। देश और विश्व में उत्तराखंड की एक पहचान भी है चारधाम यात्रा। हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु चारों धामों में दर्शन के लिए आते हैं। गत वर्ष यह संख्या 56 लाख थी। जबकि इस बार इसके नए प्रतिमान गढ़ने की संभावना है। यात्रा के लिए हो रहे पंजीकरण तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।

चुनौतियों के बीच आस्था की यात्रा

आस्था की डगर चुनौतियों से भी भरी हुई है। हालांकि सरकार का सभी तरह की तैयारी पूर्ण करने का दावा है, लेकिन व्यवस्था के प्रश्न को छोड़ भी दिया जाए तो मौसम सबसे बड़ी चुनौती है। कारण यह कि चारों धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं और वहां मौसम पल-पल बदलता रहता है। वर्तमान में भी मौसम निरंतर रंग बदल रहा है। आपदा के अलावा चारधाम यात्रा में सबसे बड़ी चुनौती स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी हुई है। यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा गया है। हर रोज 50 हजार से अधिक श्रद्धालु चारों धाम में दर्शन कर रहे हैं। अब यह कैसे संभव है कि इतनी बड़ी संख्या में चारधाम पहुंचने वाले यात्रियों में से प्रत्येक का स्वास्थ्य परीक्षण सुनिश्चित किया जाए। वैसे प्रदेश सरकार ने 55 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों और किसी बीमारी से पीड़ित का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया है। इसके बाद भी चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु चिकित्सकों की राय को अनसुना कर रहे हैं, जिसका परिणाम हृदयाघात के रूप में सामने आ रहा है। अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालु स्वयं को पर्वतीय क्षेत्र के सर्द मौसम और यहां सामने आने वाली अन्य तरह की परेशानियों के अनुकूल ढाल नहीं पाते। यही कारण है कि चारधाम यात्रा में हृदयाघात से सबसे अधिक मौत होती है। इस वर्ष अब तक 71 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है।

सुरक्षा से लेकर स्वच्छता तक के इंतजाम

हालांकि, चारधाम यात्रा से जुड़ी अन्य सुविधाओं पर भी सरकार ने पर्याप्त ध्यान दिया है। काफी संख्या में श्रद्धालु हेलीकाप्टर सेवा का प्रयोग करते हैं। हेली सेवाओं को सुरक्षित रखने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। चारधाम यात्रा मार्गों पर वाहनों की निगरानी के लिए जगह-जगह चेकपोस्ट बनाए गए हैं। स्वच्छता एवं सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण मित्र तैनात किए गए हैं।

चारधाम और हेमकुंड साहिब में दर्शनार्थियों का आंकड़ा 15 लाख पार

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद से देश-दुनिया के तीर्थयात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है। कोई भी श्रद्धालु बिना दर्शन करे वापस न जाए। इसके लिए सरकार से लेकर पूरा सरकारी तंत्र व्यवस्था बनाने में जुटा हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें तो चारों धाम में अब तक 1501860 और हेमकुंड साहिब में अब तक 20308 कुल मिलाकर 15 लाख 22 हजार 168 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इनमें सबसे अधिक श्रद्धालु बाबा केदार के दर पर पहुंचे हैं। प्रशासन की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 10 मई से अब तक केदारनाथ धाम में 607729, यमुनोत्री धाम में 273689 व गंगोत्री धाम में 262669 तो 12 मई से खुले बद्रीनाथ धाम में अब तक 357773 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। वहीं हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खोले गए थे। सिखों के पवित्र धर्मस्थल हेमकुंड साहिब में अब तक 20308 श्रद्धालुओं ने माथा टेका।

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