चित्तौड़गढ़ : पूरे देश में इस बार मानसून की मेहरबानी देखने को मिल रही है। ऐसे में आगामी वर्ष में फसलें अच्छी होने की संभावना है। लेकिन गत वर्ष भले ही मानसून कमजोर रहा लेकिन सब्जी की बिक्री में व्यापारियों ने चांदी कुटी है। आलम यह है कि अकेला लहसुन ही व्यापारियों को माला माल कर रहा है। 20 रुपए किलो में बिकने वाला लहसुन मंडियों में 450 रुपए किलो तक बिक रहा है। लहसुन में आग ऐसी लगी है कि रसोई से लहसुन ही गायब हो गया है। लहसुन के मूल्य इतने बढ़ने के पूछे जमाखोरी मुख्य कारण माना जा रहा है। किसानों को तो इसमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं मिल रहा लेकिन प्याज और लहसुन के बड़े व्यापारियों के अपने गोदाम में स्टॉक करने की जानकारी सामने आ रही है। वहीं प्रशासन समय रहते उचित कदम नहीं उठाता है तो आगामी दिनों में मूल्य बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
जानकारी में सामने आया कि अभी लहसुन की बुवाई का समय है। वहीं बाजार में लहसुन की बिक्री रुक सी गई है। रिटेल मंडी में लहसुन शोपीस बने हुवे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि लहसुन के भाव 450 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। ऐसे में रिटेल विक्रेताओं ने बहुत ही कम मात्रा में लहसुन अपनी दुकान पर रखे हैं। एक समय था कि हर सब्जी विक्रेता के पास लहसुन बिक्री के लिए मिल जाते थे। इसके उलट होलसेल मंडी में स्थिति यह है कि 200 रुपए से लेकर 450 रुपए प्रति किलो तक लहसुन बिक रहा है। जानकार लोगों की मानें तो नया लहसुन पांच माह बाद आएगा। वहीं आवक कम हो गई है, जिससे लहसुन के भाव तेजी से बढ़ गए। बताया जा रहा है कि लहसुन के बड़े व्यापारियों ने स्टॉक कर लिया है। इसके कारण लहसुन होलसेल मंडी में बिक्री के लिए नहीं आ रहा। कुछ किसानों के घरों में भी लहसुन का स्टॉक है लेकिन इन्हें भी आस है कि होलसेल मूल्य में और भी वृद्धि हो सकती है। जमाखोरी और अधिक मुनाफे के लालच में रसोई से लहसुन गायब हो गया है।
500 रुपए किलो तक ऊंटी किस्म का लहसुन
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय स्थित होलसेल मंडी के पूर्व अध्यक्ष सज्जन सिंह शेखावत ने बताया कि चित्तौड़गढ़ जिले में लहसुन की आपूर्ति निंबाहेड़ा के अलावा मध्यप्रदेश के नीमच और मंदसौर स्थित मंडी से ही होता है। अच्छी क्वालिटी का लहसुन होलसेल मूल्य में 350 से 400 तक और रिटेल में 400 से 450 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। हल्के क्वालिटी का लहसुन 200 रुपए से 300 तक होलसेल और रिटेल में 350 तक बिक रहा है। ऊंटी किस्म का लहसुन 500 रुपए किलो तक जा रहा है, जो की बड़ी साइज का आता है। छिले हुवे लहसुन का मूल्य 350 रुपए किलो तक है, लेकिन इसकी क्वालिटी हल्की होती है।
लेने जाओ तो खरीद नहीं सकते, बेचना चाहो तो बिकते नहीं
सब्जी की बिक्री से जुड़े छोटे और बड़े व्यापारियों की इन दोनों अजीब स्थिति बनी हुई है। सब्जी बिक्री को लेकर जो कहावत बनी हुई है ‘लेने जाओ तो खरीद नहीं सकते और बेचना चाहो तो बिकता नहीं’ यह इन दिनों लहसुन की बिक्री को लेकर सटीक बैठ रही है। कोई होलसेल मंडी में अगर लहसुन लेने आए तो वह भी खरीद नहीं सकता। कोई खरीद भी ले और बाजार में बेचना जाए तो बिकते नहीं है। रिटेल में वह मूल्य नहीं मिलते जिस भाव में लहसुन होलसेल में खरीदे है।
लहसुन का बढ़ गया रखवा
चित्तौड़गढ़ जिले के अलावा निकावर्ती नीमच और मध्यप्रदेश जिले में लहसुन उत्पादन क्षेत्र है। यहां बड़ी संख्या में किसान लहसुन की बुवाई करते है। अमूमन लहसुन की बुवाई सितंबर माह में बरसात बंद होने के बाद शुरू होती है। ऐसे में अगस्त माह के आखिरी सप्ताह चल रहा है और कुछ दिनों में बुवाई शुरू होनी है। कृषि विभाग चित्तौड़गढ़ से जानकारी ली है, जिसमें सामने आया कि वर्ष 2023-24 में करीब 3971 हेक्टेयर में बुवाई हुई है। वहीं वर्ष 2024-25 में करीब 4 हजार हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है।