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CHENNAI: तमिलनाडु में महिला श्रमिक के बेटे को मिला 10वीं कक्षा में जिले में तीसरा स्थान

चेन्नई:(CHENNAI) तमिलनाडु के विरुधुनगर 38 वर्षीय निवासी अरिवुकोडी नामक महिला ने 10 साल पहले अपनी खराब पारिवारिक स्थिति के कारण कक्षा खत्म करने के बाद स्कूल छोड़ दिया और एक पटाखा इकाइ में मजदूरी करना शुरू कर दिया ताकि वह अपने बच्चों को भविष्य उज्ज्वल बना सके। बच्चों की मां ने बच्चों के सफलता के बड़े-बड़े सपने देखने लगी और उसी प्रकार से उनकी की परिवरिश की जिसका नतीजा यह हुआ कि मजदूर मां अरिवुकोडी के बेटे यशवंतमन ने इसबार की 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 496 अंक हासिल किए। जब परिणाम आए तो जिला स्तर पर उसे तीसरी रैंक मिली।

शंकरलिंगपुरम के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के गरीब किंतु मेधावी छात्र यसवंतमान (15) ने सामाजिक विज्ञान में एक सेंटम हासिल किया और तमिल, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान में 99 अंक पाए। अपनी मां अरिवुकोडी को अपने सफलता का श्रेय देते हुए यशवंतमान ने कहा, “मैंने अपनी मां को पटाखा इकाई में अपनी पढ़ाई के कारण संघर्ष करते देखा और जब भी मैं पटाखा इकाइयों में विस्फोटों की खबरें सुनता हूं तो मुझे बहुत ही पीड़ा होती है। इसलिए, मैं कलेक्टर बनना चाहता हूं, समाज में बदलाव लाना चाहता हूं और पटाखा इकाइयों में कार्यरत लोगों के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करना चाहता हूं।”

मां अरिवुकोडी अपने बेटे को उच्च शिक्षा के लिए किसी भी तरह की पीड़ा सहने के लिए तैयार है। मां ने अपने बेटे यशवंथमन की प्रशंसा की और कहा, “मेरे बेटे की लगन,दृढ़ संकल्प और पढ़ाई में कठिन मेहनत करने ने अच्छा परिणाम मिला है। उसकी मां ने कहा कि मैं अपने बच्चे की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करने को तैयार हूं। मैं हमेशा मानती थी कि आज की दुनिया में शिक्षा का बहुत महत्व है और यही विचार मैंने अपने बेटे के मन में भी डाला।

अरिवुकोडी ने आगे कहा, “हमारा परिवार और मेरे पति ए मुथुमणि एक अरुप्पुकोट्टई में एक कपड़ा दुकान में काम करते हैं और बड़ी मुश्किल से कोई 6,000 रुपये पाते हैं जिसमें मेरी कमाई 9,000 रुपये की मामूली राशि पर घर का गुजारा चल रहा है। अपने व्यस्त कार्य शेड्यूल के कारण मेरे पति सप्ताह में केवल एक बार हमसे मिलने आते हैं।” अरिवुकोडी अपने बेटे को नौवीं कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक कोई ट्यूशन की भी व्यवस्था करने में भी असमर्थ थी।

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