Chennai : आईआईटी-मद्रास ने अपने ग्लोबल फुटप्रिंट का विस्तार करने के लिए रिसर्च फाउंडेशन किया लॉन्च

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चेन्नई : आईआईटी-मद्रास ने अपने ग्लोबल फुटप्रिंट का विस्तार करने और स्टार्टअप के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए एक रिसर्च फाउंडेशन लॉन्च किया है। इस पहल के माध्यम से आईआईटी मद्रास अपनी संस्था ग्लोबल रिसर्च फाउंडेशन के लिए पूंजी प्राप्त करने, अनुसंधान और नवाचार के लिए वित्त पोषण, रणनीतिक विश्वविद्यालय सहयोग और उद्योगों के साथ भागीदारी के माध्यम से अपने पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्ट्रेट कार्यक्रमों को बढ़ाने में स्टार्टअप को बढ़ावा दिए जाने का कार्य किया जाएगा।

यह फाउंडेशन पेटेंट और तकनीकों के व्यावसायीकरण के लिए आईआईटी-मद्रास के समर्पित कार्य प्रणाली के द्वारा स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय पटल पर ले जाने और शैक्षणिक भागीदारी को बढ़ाने पर जोर देगा।

आईटी-मद्रास के पूर्व निदेशक महेश पंचांगनुला ने बताया कि “हमारा मानना है कि आईआईटी-मद्रास रिसर्च फाउंडेशन न केवल आईआईटी-मद्रास के लिए, बल्कि देश के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा क्योंकि यह नवाचार को वैश्विक मंच पर ले जाएगा।” उन्होंने कहा कि संस्थान मध्य-पूर्व और अमेरिका में अपने पदचिह्न का विस्तार करने की योजना बना रहा है क्योंकि इन देशों में कई रिसर्च फंड उपलब्ध हैं। हम शोध के लिए इन फंडों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं।

आईआईटी-मद्रास के पास अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनुसंधान और नवाचार पर आधारित एक समृद्ध पोर्टफोलियो है, जिसके तहत सिर्फ अकेले अमेरिका में 161 सक्रिय पेटेंट शामिल हैं। अमेरिका में 10,000 से अधिक आईआईटी-मद्रास के पूर्व छात्र कॉर्पोरेट फर्मों के वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर काम कर रहे हैं और उन्होंने कई कंपनियों की स्थापना की है।

आईटी मद्रास द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि वरिष्ठ व्यवसाय प्रबंधन और प्रौद्योगिकी पेशेवर तिरुमलाई माधवनारायण को आईआईटी-एम रिसर्च फाउंडेशन के पहले सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया है। माधवनारायण एक उद्योग के अनुभवी व्यक्ति हैं, जिनके पास इंटेल, एचपी, डेल, सैमसंग और एप्सन जैसी वैश्विक प्रौद्योगिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए व्यवसायों की रणनीति बनाने, निर्माण, परिवर्तन और विस्तार में 37 वर्षों से अधिक का विविध मल्टी-जियो अनुभव है।

तिरुमलाई माधवनारायण रेडिंगटन ग्रुप के संस्थापक सदस्यों/निर्माताओं में से एक थे। उन्होंने सरकारों में प्रमुख हितधारकों, मध्य पूर्व और एशिया प्रशांत के कई उभरते बाजारों में व्यापक तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ मजबूत दीर्घकालिक संबंध बनाए हैं।