
बेगूसराय: (Begusarai) भारतीय शास्त्रीय संगीत के नवजागरण में जुटी स्पीक मैके लगातार कार्यक्रम के माध्यम से भारत के भविष्य को अपनी कला और संस्कृति से रूबरू करा रही है। इसी कड़ी में एक बार फिर स्पीक मैके ने भारद्वाज गुरुकुल में दरभंगा घराना के पंडित प्रशांत मलिक एवं पंडित निशांत मलिक द्वारा हजारों वर्ष पुराने ध्रुपद की प्रस्तुति कराई।मलिक ब्रदर्स ने जब प्रस्तुति शुरू की तो आधुनिक गीत संगीत की कानफाडू आवाज के ठीक उलट शास्त्रीय संगीत ने ऐसा प्रभाव जमाया कि ऑडिटोरियम में उपस्थित बुद्धिजीवी और शिक्षक ही नहीं, छात्र-छात्राएं भी मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे। इन लोगों ने संगीत का ऐसा आनंद लिया, जिसके बारे में ना तो कभी सुना था और ना देखा था। मलिक ब्रदर्स का पखावज (मृदंग) पर साथ दे रहे थे आशुतोष उपाध्याय।
कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मलिक ब्रदर्स ने कार्यक्रम की शुरुआत ध्रुपद के इतिहास से की। उन्होंने बताया कि यह गायन की परंपरा सारे संगीत के जड़ में है। पहले यह गायन सिर्फ मंदिरों में होता था। तानसेन के गुरु हरिदास वृंदावन के मंदिर में ध्रुपद गाते थे, सिर्फ पुरुष ही इसकी प्रस्तुति देते थे। लेकिन अब यह बदल गया है।ध्रुपद सम्पूर्ण गायिकी है, राजा अकबर के दरबार के नौ रत्न में एक मियां तानसेन ने इसे खूब प्रसिद्धि दिलाई। मलिक परिवार के पूर्वज दरभंगा महाराज के राज में गायिकी करते थे।देश आजाद होने के बाद इसका खूब विस्तार हुआ। मलिक ब्रदर्स दरभंगा घराने के तेरहवीं पीढ़ी हैं, जो ध्रुपद को ध्रुवतारा के तरह चमकाए हुए हैं।
उन्होंने बताया कि हिंदुस्तानी संगीत आठ प्रहर के मुताबिक गाया जाता है, यह बंधन कर्नाटक संगीत में नहीं है। बहुत ही प्राचीन राग शुद्ध तोड़ी जो कि ठाठ राग है से गायन की शुरुआत हुई। मृदंग यानी मीठा अंग के बायीं तरफ हर कार्यक्रम के पूर्व गुंदा हुआ आटा का लोई लगाया जाता है जो इसकी असल पहचान है।
भारतीय संगीत परंपरा में सिर्फ पांच मंगल वाद्य यंत्र हैं। मृदंग, शहनाई, मंदिर का घंटी, शंख एवं डमरू ही मंगल वाद्य यंत्र हैं। आलाप के बाद गमक की प्रस्तुति दी गई, यह प्रस्तुति स्वरों का कंपन है। कार्यक्रम के बीच में सैकड़ों बच्चों ने मलिक ब्रदर्स के निर्देशन में उनके साथ साथ गाया, इसने शास्त्रीय संगीत को और रोचक बना दिया। कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने संगीत से जुड़े प्रश्न भी पूछे, जिसका मलिक ब्रदर्स ने बखूबी जवाब दिया।
उद्घाटन एवं समापन सत्र का संचालन शिव प्रकाश भारद्वाज ने किया। इस अवसर पर डॉ. भगवान प्रसाद सिन्हा, कवि प्रफुल्ल चंद्र मिश्र, अमिय कश्यप, जवाहर लाल भारद्वाज, प्रो. गौतम कुमार, बच्चों की पाठशाला के रौशन कुमार, अर्पिता भारद्वाज, दामिनी मिश्र एवं सुशांत भास्कर सहित सैकड़ों बच्चों ने ध्रुपद गायिकी का आनंद लेते हुए मन की शक्ति बढ़ाने का तरीका सीखा।



