बलरामपुर : (Balrampur) भारत को आजाद हुए 78 साल बीत गए है। लगभग आठ दशक बीत जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है लोग अंधेरे में जीवनयापन करने को मजबूर है। बिजली नहीं पहुंचने से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। हम बात कर रहे है, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के भूताही ग्राम की।
कुसमी विकासखंड के भूताही ग्राम चारों तरफ पहाड़ी से घिरा हुआ है। एक समय यहां पर नक्सलियों की गतिविधि ज्यादा रहती थी। नक्सलियों के सितम से लोग परेशान रहते थे। धीरे-धीरे ग्राम नक्सली से आजाद तो हो गया लेकिन यहां के लोगों को जीवनयापन करने के लिए मूलभूत सुविधाएं अभी तक सरकार मुहैया कराने में असफल रही है। बिजली नहीं होने के कारण लोग अंधेरे में गुजर बसर कर रहे है। प्रशासन के द्वारा सोलर सिस्टम लगवाया गया था परंतु बिना देख रेख के वो भी खराब पड़ा हुआ है। बच्चों को रात के अंधेरे में दिए के सहारे पढ़ाई लिखाई करना पड़ता है। शाम ढलते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है।
स्थानीय ग्रामीण में बताया कि, यहां आजतक बिजली नहीं पहुंच सका है। प्रशासन के लोग आते है लेकिन हमलोग के लिए कुछ नहीं करते है। सोलर लगवाए थे लेकिन देख रेख नहीं होने के कारण वो भी खराब हो गया है। रात होते ही पूरा गांव अंधेरा हो जाता है। बिजली की व्यवस्था हो जाती तो खेती किसानी करने में भी हमलोगों को आसानी होती। यहां बहुत समस्या है।
दूसरे स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि, गांव में बहुत परेशानी है। प्रशासन के द्वारा सोलर लाइट मिल था लेकिन कुछ दिन ठीक काम करने के बाद वो भी खराब हो गया। रात में काफी दिक्कत होता है। यहां पर स्कूल में अच्छी पढ़ाई भी नहीं होती है। रात को हमें अंधेरे में सोना पड़ता है। हमेशा जंगली जानवर, सांप और बिच्छू के काटने का खतरा बना रहता है। बिजली जैसी मूलभूत सुविधा अगर सरकार मुहैया करवा देती तो हमारी परेशानी कुछ कम हो जाती। शाम ढलते ही हमलोग सुरक्षा के दृष्टिकोण से घर में चले जाते है। बच्चे लालटेन के सहारे पढ़ाई करने के लिए मजबूर है। कम रोशनी में पढ़ाई करने के कारण बच्चों को आंख के परेशानी होती है।
जिले के कलेक्टर राजेंद्र कटारा (District Collector Rajendra Katara) ने बताया कि, भूताही ग्राम में नीचे बिजली के लिए सैंक्शन नहीं हुआ है। विद्युत विभाग के द्वारा मुझे जानकारी मिली है। सोलर को तत्काल ठीक करवाएंगे और बिजली के लिए सैंक्शन करवाएंगे।