
एक चैनल पर डेविड धवन की फिल्म आ रही थी “चश्मे बद्दूर”। अली जाफर के दोस्त उससे बार बार कह रहे थे “अरे यार, ओ ऐसी लड़की नहीं है “। तब से ही मैं “ऐसी लड़की” के मायने की तलाश कर रहा था। फ्लैश बैक की सारी परतें हटा डाली। आखिरकार वो मिल ही गयी. दिल्ली गैंग रेप के बाद एक दोस्त ने कहा था ” यार वो लड़की ऐसी ही रही होगी”।
थोड़ा और पीछे गया तो एक वाकया याद आ गया। नेशनल पार्क, बोरीवली हाईवे के नीचे आदिवासियों का झुण्ड रहता है। भूखे-प्यासे, फटे-पुराने चिथड़े में लिपटे। औरतें पास की खुली गटर में नहाती हैं। शरीफजादों का झुण्ड अपनी आँखें सेंकते हैं। मेरा एक दोस्त अक्सर कहता है “यार ये औरते ऐसी ही हैं. शर्मो-हया बेच चुकी है”।
थोड़ा और पीछे गया तो सारे सवालों का जवाब मिल गया। मियां-बीवी ने जमकर झगड़ा हुआ। मियां को गुस्सा आया और बीवी को दो तीन थप्पड़ रसीद कर दिया। सबने तालियाँ बजाई। बीवी को गुस्सा आया लेकिन हाथ नहीं उठाया। बस इतना ही कहा–“जानते हो बात क्या है …..?” असल में तुम्हें किसी गूंगी लड़की से शादी करनी चाहिए थी… चुपचाप गृहस्थी का काम करती “ऐसी लड़की”…सात थप्पड़ खाकर भी रोयेगी नहीं “ऐसी लड़की “…. जो लिखना-पढ़ना न जानती हो “ऐसी लड़की “….सर में गोबर के सिवाय कुछ न हो “ऐसी लड़की “….कोई साध, कोई ख्वाब और कोई अरमान न हो जिसका तुम्हें चाहिए “ऐसी लड़की “…..
विश्वास मानिए, फिर किसी ने ताली नहीं बजाई।