रोज़ाना एक कविता: अटल गीत

0
397

आज दर्द बड़ा है और मेरा ये दिल छोटा पड़ गया है।
भारत के बाग़ का सबसे बेहतरीन फूल झड़ गया है।

हर सांस आज जख्मी है लफ्ज भी घायल पड़े हैं।
आज बहने से रोको ना नैना भी जिद पर अड़े हैं।

कैसा दुर्भाग्य मेरे देश का कोई तुमसा ना बन पाया।
तुमसी साफ़ सुथरी राजनीति को किसी ने ना अपनाया।

अटल जी हमेशा अटल रहे अपनी अटल बातों पर।
पाकिस्तान को हमेशा रखा इन्होंने अपनी लातों पर।

इतना अंबर भी ना बरसेगा जितनी आँख बरस रही हैं।
मेरे भारत की रूह आज अटल जी के लिए तरस रही है।

मुझे नही लगता कोई इतने बड़े कीर्तिमान को छूलेगा।
हिदुस्तान आपके योगदान को कभी भी नही भूलेगा।

मैं चाहूँगा मेरा जितनी बार जन्म हो आप प्रधानमंत्री हों।
आपकी सुरक्षा में तत्पर हमेशा ” अनुभव ” जैसा संत्री हो।

अनुभव शर्मा