Bengaluru : कर्नाटक हाईकोर्ट ने मासिक धर्म अवकाश पर रोक से किया इनकार

0
15

बेंगलुरु : (Bengaluru) कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने बुधवार को राज्य सरकार की उस अधिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौरान प्रति माह एक दिन का सवैतनिक अवकाश देने का प्रावधान किया गया है।

न्यायमूर्ति ज्योति मूलीमणि की अध्यक्षता वाली पीठ ने बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन और अविराता एएफएल कनेक्टिविटी सिस्टम्स लिमिटेड (Bengaluru Hotels Association and Avirata AFL Connectivity Systems Limited) की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला व्यापक जनहित से जुड़ा हुआ है और फिलहाल अधिसूचना पर रोक लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल के. शशिकरण शेट्टी (Advocate General K. Shashikaran Shetty) ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि कर्नाटक ने महिला कर्मचारियों के कल्याण के लिए एक प्रगतिशील कदम उठाया है, जिसे अभी तक किसी अन्य राज्य में लागू नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि अधिसूचना जारी होने के बाद कुल 72 आपत्तियां प्राप्त हुई थीं, जिनकी समीक्षा कर ली गई है।

शेट्टी ने तर्क दिया कि संविधान का अनुच्छेद 42 सरकार को कार्यस्थल पर मानवीय परिस्थितियां और मातृत्व संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अधिकार देता है। उच्चतम न्यायालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि राज्य सरकारें अनुच्छेद 15(3) के तहत महिलाओं के हित में विशेष प्रावधान कर सकती हैं।

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता पक्ष के अधिवक्ता बी.के. प्रशांत (B.K. Prashant) ने मांग की कि सुनवाई पूरी होने तक किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार मौजूदा श्रम कानूनों में संशोधन किए बिना केवल कार्यकारी आदेश के माध्यम से ऐसा प्रावधान लागू कर सकती है?

उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को अपनी-अपनी आपत्तियां और जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।