Guwahati : भूपेन हजारिका ने हिंसा और अलगाववाद के दौर में पूर्वोत्तर को जोड़ा: प्रधानमंत्री मोदी

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गुवाहाटी : (Guwahati) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने (Prime Minister Narendra Modi) शनिवार को कहा कि भारत रत्न भूपेन हजारिका न केवल संगीत के महानायक थे, बल्कि भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक भी थे। उन्होंने कहा कि जिस समय पूर्वोत्तर क्षेत्र उपेक्षा, हिंसा और अलगाववाद की आग में झुलस रहा था, उस कठिन कालखंड में भी भूपेन दा ने भारत की एकता को स्वर दिया और समृद्ध, शांतिपूर्ण तथा आत्मनिर्भर पूर्वोत्तर का सपना देखा।

प्रधानमंत्री मोदी गुवाहाटी में आयोजित भूपेन हजारिका की जन्मशताब्दी समारोह (entenary celebrations of Bhupen Hazarika held in Guwahati) में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने भूपेन हजारिका पर लिखी एक पुस्तक का विमोचन किया और उनकी स्मृति में 100 रुपये का शताब्दी स्मारक सिक्का जारी किया। कार्यक्रम में उनका स्वागत पारंपरिक असमिया शॉल और भूपेन हजारिका का चित्र भेंट कर किया गया। समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए और मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट जलाकर उत्सव का माहौल बनाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भूपेन हजारिका का जीवन और संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं थे, बल्कि वह साधना और संकल्प थे। उन्होंने कहा, “भूपेन दा के गीत हमारी आत्मा को छूते हैं, क्योंकि उनमें मां भारती के प्रति अथाह प्रेम और एक भारत-श्रेष्ठ भारत की झलक मिलती है। उनकी रचनाएं भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं को जोड़ने वाली थीं, जिन्होंने पीढ़ियों को प्रेरित किया।”

मोदी ने कहा कि दशकों पहले जब नॉर्थ ईस्ट उपेक्षा का शिकार था और हिंसा तथा अलगाववाद से जूझ रहा था, उस कठिन समय में भूपेन दा ने निरंतर भारत की एकता की वकालत (Bhupen da constantly advocated for India’s unity) की। उनकी आवाज ने न केवल पूर्वोत्तर, बल्कि पूरे देश में एकता और विश्वास का संदेश फैलाया। उन्होंने कहा, “आज हमारी सरकार उनके उसी सपने को साकार करने के लिए दिन-रात कार्य कर रही है। हमने उन्हें भारत रत्न देकर न केवल एक कलाकार का सम्मान किया, बल्कि पूर्वोत्तर के सपनों और स्वाभिमान को भी नई पहचान दी।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर का इतिहास, संस्कृति और बलिदान भारत की अवधारणा से अभिन्न रूप से जुड़ा है। यह क्षेत्र आज पूरे देश के लिए नई रोशनी और नई आशा की भूमि बन रहा है। उन्होंने कहा, “आखिरकार, देश का पहला सूर्योदय यहीं होता है और भूपेन दा ने अपने गीतों के माध्यम से इसी भावना को स्वर दिया था।”

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने हाल ही में आठ सितंबर को भूपेन हजारिका की जयंती पर लिखे अपने लेख का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें इस जन्मशताब्दी वर्ष के आयोजन का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा, “आज का यह दिन अद्भुत और अनमोल है। यहां का उत्साह, तालमेल और भूपेन दा के संगीत की लय मुझे लगातार यह कहने पर मजबूर कर रही थी– समय ओ धीरे चलो, समय ओ धीरे चलो।”

मोदी ने भूपेन हजारिका की रचनाओं को भारत के लिए अमर धरोहर (immortal heritage for India) बताया और कहा कि उनकी अमर आवाज भले ही शारीरिक रूप से अब हमारे बीच न हो, लेकिन आज भी लोगों को ऊर्जा और प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा, “भूपेन दा का संगीत भारत की विविधता में एकता का सबसे सशक्त उदाहरण है।”

प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक संपर्क पर विशेष बल देते हुए कहा कि जब हम कनेक्टिविटी की बात करते हैं, तो लोग आमतौर पर रेल, सड़क और हवाई मार्ग को याद करते हैं। लेकिन एक राष्ट्र के लिए केवल भौतिक संपर्क ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक संपर्क भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि बीते 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर में विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक कनेक्टिविटी को भी मजबूत करने का कार्य किया है। यही कारण है कि आज पूरा देश पूर्वोत्तर की विरासत और इतिहास से परिचित हो रहा है।

मोदी ने 1962 के भारत-चीन युद्ध और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि असम ने प्रत्यक्ष रूप से युद्ध की परिस्थितियां देखी थीं। उस समय भूपेन दा ने अपने गीतों के माध्यम से राष्ट्र के संकल्प को और मजबूत किया और भारतीयों में साहस और ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने कहा कि यही भावना हाल में भी देखने को मिली, जब भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “नया भारत अपनी सुरक्षा और स्वाभिमान के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा और अपने दुश्मनों को कहीं भी सुरक्षित नहीं रहने देगा।” प्रधानमंत्री ने असम की परंपराओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि वे हर अवसर पर असमिया ‘गामोसा’ को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों से भी अपनी संस्कृति और विरासत को आत्मविश्वास से सामने लाने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भूपेन दा के जन्मशताब्दी वर्ष को गर्व और उत्साह से मना रही है। उन्होंने कहा, “हम उनके गीतों, संदेशों और जीवनयात्रा को घर-घर ले जाने का अभियान चला रहे हैं। यह सुधाकंठ की शताब्दी है, जिन्होंने भारत के सपनों को आवाज दी और संगीत को भावनाओं से जोड़ा। भूपेन दा का जीवन हमें यह सिखाता है कि जब संगीत साधना और संकल्प बन जाता है, तब वह समाज को नई दिशा दिखाने का माध्यम बनता है।” समारोह में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, भूपेन हजारिका के भाई सरम हजारिका, बहन कविता बरुआ और पुत्र तेज हजारिका (Assam Governor Laxman Prasad Acharya, Chief Minister Himanta Biswa Sarma, Arunachal Pradesh Chief Minister Pema Khandu, Union Minister Sarbananda Sonowal, Bhupen Hazarika’s brother Saram Hazarika, sister Kavita Barua and son Tej Hazarika) मौजूद थे।