Mumbai : वसई-पालघर अगले पांच वर्षों में चिलिंग-फ्री केला निर्यात का हब बनेगा: डॉ. केबी पाटील

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तकनीकी खेती से केला उत्पादन पर वसई में सेमिनार
मुंबई : (Mumbai)
सुख संपत्ति संवर्धन सहकारी सोसाइटी (Sukh Sampatti Sanvardhan Sahakari Society), वसई और जैन इरिगेशन के सहयोग से तकनीकी खेती से निर्यात योग्य केला उत्पादन पर वसई में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान जैन इरिगेशन के उपाध्यक्ष और केला उत्पादन के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ डॉ. के. बी. पाटील (international banana production expert Dr. K.B. Patil) ने किसानों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि वसई, ठाणे और पालघर जिले में निर्यात योग्य केले के उत्पादन के लिए बहुत अनुकूल वातावरण है। केला उत्पादन के लिए तापमान 13 डिग्री से नीचे नहीं जाना चाहिए और 40 डिग्री से अधिक नहीं होना चाहिए, ऐसा वातावरण वसई में उपलब्ध है। जैन टिश्यू कल्चर ग्रैंड नैन केले के वायरस-मुक्त पौधे, गादी वाफा, डबल लेटरल और फर्टिगेशन तकनीक का उपयोग करने पर 10 से 11 महीनों में केले कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार (international market) के लिए फ्रूट केयर स्कर्टिंग बैग, प्रति गुच्छे में नौ फलियां और पैक हाउस में पैकिंग के साथ बिना दाग वाली गोल्डन केले का उत्पादन आवश्यक है। वाडा, तलासरी, डहाणू, मोखाडा, पालघर, वानगांव आदि क्षेत्रों को केला उत्पादन और निर्यात के लिए आगे आना चाहिए।डॉ. पाटील ने कहा कि जलगांव और सोलापुर की तुलना में हमें मुंबई पोर्ट का निकटता का लाभ मिलेगा। ईरान, इराक, दुबई, ओमान, सऊदी अरब, रूस में केले की भारी मांग है। इसके लिए हमारे क्षेत्र में केवल जनवरी से 15 अप्रैल के बीच केले की कटाई होनी चाहिए, ताकि निर्यात संभव हो सके। यदि सभी क्षेत्रों के छोटे-बड़े किसान एकजुट होकर वैज्ञानिक तरीके से केले की खेती करें, तो वसई को फिर से प्रसिद्धि मिलेगी।

उन्होंने इस कार्य के लिए संस्था के अध्यक्ष ओनील अल्मेडा (president Onil Almeida) के प्रयासों की सराहना की और कहा कि अगले पांच वर्षों में वसई और पालघर चिलिंग-फ्री केला निर्यात का हब बनेगा।सुख संपत्ति संवर्धन सहकारी सोसाइटी, वसई के अध्यक्ष ओनील अल्मेडा ने कहा कि छोटे किसानों को वेलची, इलायची, रेड बनाना और नेंद्रन जैसी केले की किस्मों की खेती करनी चाहिए, क्योंकि बाजार में इन किस्मों की अधिक मांग है। आने वाले समय में संस्था के माध्यम से इन किस्मों के टिश्यू कल्चर पौधे, जी-9 पौधों के साथ उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही, जमींदार किसानों को करार खेती और बागवानी के माध्यम से आय अर्जित करने के लिए जैन इरिगेशन की तकनीक का उपयोग कर संस्था के माध्यम से सहयोग किया जाएगा।

वक्ताओं के मार्गदर्शन से पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन अण्णासाहेब वर्तक सभागृह ट्रस्ट और विद्यावर्धिनी ट्रस्ट के अध्यक्ष विकास वर्तक के हाथों हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में बैंकिंग विशेषज्ञ फ्रांसिस डिकोस्टा, जीएससी के अध्यक्ष विन्सेंट अल्मेडा और जॉन अल्मेडा प्रतिष्ठान के ट्रस्टी पैट्रिक अल्मेडा मौजूद थे। कार्यक्रम में वसई और पालघर क्षेत्र के 200 से अधिक किसान उपस्थित थे। सहजीवन परिवार के सदस्य बोर्ज करवलो ने संचालन किया। अलेक्झांडर डिमेल्लो ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में रोहन अल्मेडा, डेनिस डिकून्हा और पैट्रिक गोंसालवेस ने विशेष प्रयास किए।